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भोपाल

पिछले वर्ष 28650 पशुओं में फैला था लंपी वायरस, विभाग अलर्ट पर, कंट्रोल रूम बनाया

– वर्ष 2021 में भोपाल में फंदा और बैरसिया ब्लॉक के पशु हुए थ्र प्रभावित, इस वर्ष डवलप हो गई इम्यूनिटी

भोपालAug 08, 2022 / 11:11 pm

प्रवेंद्र तोमर

पिछले वर्ष 28650 पशुओं में फैला था लंपी वायरस, विभाग अलर्ट पर, कंट्रोल रूम बनाया

– वर्ष 2021 में भोपाल में फंदा और बैरसिया ब्लॉक के पशु हुए थ्र प्रभावित, इस वर्ष डवलप हो गई इम्यूनिटी

भोपाल. रविवार को लिए गए लंपी वायरस के संदिग्ध पशु का सैंम्पल जांच में निगेटिव मिला है। डॉक्टरों ने उसमें वायरस नहीं होने की पुष्टि की है। लेकिन पिछले वर्ष 28 हजार 650 पशुओं में लंपी वायरस फैला था। गनीमत ये रही कि इस दौरान सिर्फ एक ही पशु की मृत्यु हुई। इस बार भी पशुपालन विभाग ने लंपी वायरस को लेकर अलर्ट जारी कर दिया है। अस्पतालों में दवाओं के साथ स्टाफ को अस्पताल में उपस्थित रहने के निर्देश दिए हैं। पशु पालन विभाग के उप संचालक डॉक्टर अजय रामटेके ने बताया कि पिछले वर्ष भोपाल के फंदा और बैरसिया में लंपी वायरस फैला था। इसके बाद हमनें और वैज्ञानिकों से बात की तो उन्होंने बताया कि जिस वर्ष जिस जिले में वायरस फैलता है तो उसके अगले साल उसको लेकर हर्ड इम्यूनिटी तैयार हो जाती है। जो अगले तीन साल तक रहती है। ऐसे में भोपाल में लंपी वायरस फैलने की संभावना कम है। फिर भी हनमें अलर्ट जारी किया है। अगर किसी को कोई सूचना या कोई जानकारी या संदिग्ध पशु नजर आता है तो तत्काल 0755-2767583 पर कंट्रोल रूम में सूचना दे सकता है। जहांगीराबाद स्थित स्टेट लैब में ही कंट्रोल रूम बनाया है। जिले में 2 लाख 36 हजार पशु हैं।

मध्य प्रदेश के कई हिस्सों में पशुओं में लंपी वायरस से फैलने वाली बीमारी के संदिग्ध मामलों ने चिंता बढ़ा दी है। रविवार को राजधानी में भी लंपी वायरस का संदिग्ध पशु सामने आया है। करोद स्थित सब्जी मंडी में एक गाय की त्वचा मैं छोटी-छोटी गठाने नजर आई। सब्जी मंडी में काम करने वाले कुछ लोगों ने जब गाय को देखा तो उसे जांच के लिए राज्य पशु चिकित्सालय ले जाया गया। जहां गाय के सैंपल लेकर जांच के लिए भेज दिए गए। रिपोर्ट आने के बाद ही इसकी पुष्टि की जाएगी।

लंपी स्किन डिजीज पशुओं में होने वाला एक वायरल है, जो पॉक्स वायरस से मवेशियों में फैलता है। बीमारी मच्छरों, मक्खियों के जरिए एक से दूसरे पशुओं तक फैलती है। बीमारी होने पर पशुओं के शरीर पर छोटी-छोटी गठानें बन जाती है जो गांठों में बदल जाती हैं और शरीर पर जख्म नजर आने लगते हैं. इसके बाद पशु खाना कम दे कर देता है और उसकी रोग प्रतिरोधक क्षमता भी घट जाती है। गौ सेवक सरमन बाथम ने बताया कि गाय मिलने के बाद उन्होंने कई बार विभागीय अधिकारियों को इसकी सूचना दी लेकिन शाम तक कोई भी अधिकारी गाय को लेने नहीं आया। इसके बाद उन्होंने गाय को राज्य पशु चिकित्सालय में छोड़ दिया।

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