बताया जाता है कि आयकर विभाग ने तारीख को इसलिए बढ़ाया है ताकि करदाताओं को सहुलियत से आइटीआर भरने का मौका मिल सके और सिस्टम पर अंतिम दिन पर पड़ने वाले लोड से बचाया जा सके।
वहीं कुछ जानकारों के अनुसार यह कदम उन व्यक्तियों के लिए लिया गया है जिनके लिए देय तिथि धारा के स्पष्टीकरण 2 के खंड (सी) के तहत तय की गई है 139 (1)। इस खंड के तहत आईटीआर दर्ज करने की देय तिथि व्यक्तियों और हिंदूअविभाजित परिवार (एचयूएफ) के लिए है।
उन निर्धारकों के लिए जिनके खातों की किताबों का ऑडिट किया जाना आवश्यक है, आईटीआर दर्ज करने की देय तिथि 30 सितंबर है। यदि स्थानांतरण मूल्य निर्धारण रिपोर्ट जमा करनी है, तो देय तिथि 30 नवंबर है।
वहीं आयकर रिटर्न दाखिल करने की अंतिम तिथि बढ़ाए जाने का मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल व अन्य जिलों के लोगों ने स्वागत करते हुए इसे एक अच्छा निर्णय बताया है। MUST READ : अपना Income Tax return बस 15 मिनट में ऐसे खुद करें FILE, ये रही गाइडलाइन…
कई बार होता है कि पूरा ऐसेस्मेंट होने में समय लगता है, इसके अलावा भी कई बार कुछ जरूरी कार्यों में फंसने से लेट होने की संभावना बनी रहती है। व्यवसाय में ये देरी न चाहते हुए भी हो जाती है, ऐसे में अंतिम तिथि बढ़ना किसी खुशी से कम नहीं है।
– संजय शर्मा, डॉयरेक्टर, निजी कंपनी
– संजय शर्मा, डॉयरेक्टर, निजी कंपनी
हमारे यहां पूरी किताबों से आंकड़ा निकालने के बाद आयकर रिटर्न दाखिल करने की स्थिति बनती है। ऐसे में कई बार देरी होना स्वाभाविक है, क्योंकि इसके कारण हम अपनी दुकानें बंद कर लें ये तो मुमकिन नहीं है। ऐसे में यदि कोई ग्राहक किसी खास स्थिति में आ गया तो हम फंस जाते हैं। अब ये तारीख बढ़ने से हमें थोड़ा समय मिल जाएगा।
– हरीश सोनी, ज्वैलर्स शॉप
– हरीश सोनी, ज्वैलर्स शॉप
हमारा बिजनेस है हम कोशिश करते हैं कि समय पर सब हो जाए पर कई बार समस्या आ ही जाती है। आखिरी तारीख बढ़ने से हमें कुछ समय और मिल गया है। जिसका हम सद्उपयोग करेंगे।
– प्रतीक खरे, निजी व्यवसायी
– प्रतीक खरे, निजी व्यवसायी
तिथि बढ़ाने का किया था आग्रह…
यह भी बात सामने आ रही है कि करदाताओं की दिक्कतों को ध्यान में रखते हुए, चार्टर्ड एकाउंटेंट्स ऑफ इंडिया (आईसीएआई) संस्थान की प्रत्यक्ष कर समिति ने हाल ही में सीबीडीटी से 31 जुलाई से 31 अगस्त तक आईटीआर फाइलिंग देय तिथि बढ़ाने का आग्रह किया था। आईटीआर दाखिल करने की वास्तविक कठिनाइयों और व्यावहारिक कठिनाइयों का हवाला देते हुए, एक पत्र में संस्थान ने कर विभाग से विस्तार पर विचार करने का अनुरोध किया था।
यह भी बात सामने आ रही है कि करदाताओं की दिक्कतों को ध्यान में रखते हुए, चार्टर्ड एकाउंटेंट्स ऑफ इंडिया (आईसीएआई) संस्थान की प्रत्यक्ष कर समिति ने हाल ही में सीबीडीटी से 31 जुलाई से 31 अगस्त तक आईटीआर फाइलिंग देय तिथि बढ़ाने का आग्रह किया था। आईटीआर दाखिल करने की वास्तविक कठिनाइयों और व्यावहारिक कठिनाइयों का हवाला देते हुए, एक पत्र में संस्थान ने कर विभाग से विस्तार पर विचार करने का अनुरोध किया था।
जानकारी के लिए बता दें कि वित्त वर्ष 2017-18 (आंकलन वर्ष 2018-19) के लिए आईटीआर फॉर्म में इस बार कुछ बड़े बदलाव भी किए गए हैं। जैसे कि इस बार आपको नोटबंदी के दौरान किए गए जमा कि जानकारी नहीं देनी होगी साथ ही इस बार आपको अपनी सैलरी के ब्रेकअप का उल्लेख करना होगा।
आईटीआर उपयोगिताओं के रिलीज में देरी और स्कीमा के निरंतर अद्यतन, करदाताओं के फॉर्म 26 एएस में टीडीएस क्रेडिट के अद्यतन में देरी और जीएसटी कानून के पहली बार कार्यान्वयन से उत्पन्न मुद्दों को महत्वपूर्ण माना गया था।
वहीं आईसीएआई ने तर्क दिया था कि भारत में भारी मानसून था। महाराष्ट्र, गुजरात, उत्तराखंड और जम्मू-कश्मीर जैसे राज्यों में कई बाढ़ की सूचना मिली है। “इस असामान्यता ने मानदंड को बाधित कर दिया है, जिससे आईटीआर फाइलिंग लोगों के दिमाग में पहला एजेंडा नहीं बनता है”।
बिना आधार वालों के भी ITR फाइल करने की सुविधा…
जिन लोगों के पास आधार कार्ड नहीं है, लेकिन वो ऑनलाइन आईटीआर फाइल करना चाहते हैं उनके लिए खुशखबरी है। दिल्ली हाईकोर्ट ने केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) को निर्देश दिया है कि वो ऐसे लोगों के लिए ई-फाइलिंग वेबसाइट पर विशेष सुविधा उपलब्ध करवाए जिनके पास न तो आधार कार्ड है और न ही आधार एनरोल्मेंट नंबर।
जिन लोगों के पास आधार कार्ड नहीं है, लेकिन वो ऑनलाइन आईटीआर फाइल करना चाहते हैं उनके लिए खुशखबरी है। दिल्ली हाईकोर्ट ने केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) को निर्देश दिया है कि वो ऐसे लोगों के लिए ई-फाइलिंग वेबसाइट पर विशेष सुविधा उपलब्ध करवाए जिनके पास न तो आधार कार्ड है और न ही आधार एनरोल्मेंट नंबर।
ये शुल्क चुकाना होगा…
वित्त अधिनियम 2017 ने रिटर्न के देर से दाखिल होने के लिए 5,000 रुपये से 10,000 रुपये के शुल्क का शुल्क लेने के लिए धारा 234 एफ पेश किया है। यदि कोई व्यक्ति देय तिथि के बाद और 31 दिसंबर से पहले रिटर्न फाइल करता है, तो 5,000 रुपये का शुल्क चुकाना आवश्यक है। 31 दिसंबर के बाद रिटर्न दाखिल करने वाले निर्धारिती के लिए, 10,000 रुपये का शुल्क लगाया जाता है। कर विशेषज्ञों का कहना है कि इसे ध्यान में रखते हुए, “एक महीने तक देय तिथि का विस्तार एक स्वागत कदम है क्योंकि यह करदाताओं के जीवन को थोड़ा कम तनावपूर्ण बना देगा।”
वित्त अधिनियम 2017 ने रिटर्न के देर से दाखिल होने के लिए 5,000 रुपये से 10,000 रुपये के शुल्क का शुल्क लेने के लिए धारा 234 एफ पेश किया है। यदि कोई व्यक्ति देय तिथि के बाद और 31 दिसंबर से पहले रिटर्न फाइल करता है, तो 5,000 रुपये का शुल्क चुकाना आवश्यक है। 31 दिसंबर के बाद रिटर्न दाखिल करने वाले निर्धारिती के लिए, 10,000 रुपये का शुल्क लगाया जाता है। कर विशेषज्ञों का कहना है कि इसे ध्यान में रखते हुए, “एक महीने तक देय तिथि का विस्तार एक स्वागत कदम है क्योंकि यह करदाताओं के जीवन को थोड़ा कम तनावपूर्ण बना देगा।”