script‘पहले के नेता हाथी तो अब के मेढक समान’ | latest changes in politics and political style | Patrika News
भोपाल

‘पहले के नेता हाथी तो अब के मेढक समान’

कुरैशी ने बेबाकी से रखी अपनी बात कहा जनता ही ला सकती है बदलाव…

भोपालNov 01, 2018 / 10:35 am

दीपेश तिवारी

politics

‘पहले के नेता हाथी तो अब के मेढक के समान’

भोपाल। मौजूदा राजनीतिक परिदृश्य में आरोप-प्रत्यारोपों के साथ आई आपसी कटुता पर पूर्व राज्यपाल और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अजीज कुरैशी का कहना है कि राजनीतिक सिद्धांत खो गए हैं, इससे नेताओं और राजनीतिक दलों की विश्वसनीयता पर प्रतिकूल असर पड़ा है।
ये बोले कुरैशी…
: आपने कई दौर देखे… राजनीति से लेकर चुनावों तक कितना अंतर पाते हैं?
– पहले राजनीति होती थी, अब भ्रष्ट नीति हो रही है। पहले के नेता हाथी और अब के मेढ़क हैं। वे टर्र-टर्र खूब करते हैं। पहले ईमान था, उसूलों पर चुनाव होते थे। नेताओं में सभ्यता थी।
हमारे कई राजनीतिक दुश्मन रहे, लेकिन व्यक्तिगत दुश्मनी कभी नहीं की। सीहोर से 1972 में चुनाव लड़ा तो सामने सुदर्शन महाजन थे। मैं उनके घर खाना खाता था।

नामांकन के बाद महाजन के घर गया था। इसे देख तत्कालीन मुख्य सचिव ने सीएम प्रकाशचंद्र सेठी से कहा था कि ऐसी परंपरा रही तो लोकतंत्र जिंदा रहेगा।
: राजनीति, चुनाव से लोगों की बेरुखी की वजह भी क्या यही है?
– सत्ता में आने वाली पार्टियां सुप्रीम कोर्ट को कह रही हैं कि वह कैसा आदेश पारित करे… जो लोग राजनीति में हैं वो कुछ अच्छा करना ही नहीं चाहते। जो नेहरू को भला-बुरा कह रहे हैं, वो उनकी पैर की धूल भी नहीं हैं। राजनीति के पुरोधाओं की बुराई की जा रही है, इसलिए आम जनता दूर हो रही है।
: राजनीतिक को स्वच्छ करने के लिए क्या किया जाना चाहिए?
– राजनीतिक दलों को सौहार्द भाव बनाना होगा। उससे भी पहले जनता को आगे आना होगा। अपनी ताकत दिखानी होगी। ऐसे दलों का चयन करें जो प्रगतिशील, असांप्रदायिक होने के साथ ही प्रजातांत्रिक व्यवस्था में भरोसा रखते हों। उन दलों को खारिज करें जो लोकतंत्र और संवैधानिक संस्थाओं का गला घोंटने का काम कर रहे हैं।
: जनता किस तरह बदलाव ला सकती है, जबकि उसे ही बरगलाया जाता रहा है?
– पूंजीवाद कायम रहे यह सारे अमीर चाहते हैं, इसके लिए धर्म का सहारा लिया जा रहा है। अब यह ज्यादा नहीं चलेगा। जनता को भी ये समझ लेना चाहिए। धर्म की अफीम पिलाने वालों की पहचान करना जरूरी है।
इधर,पटियों पर चर्चा है…: कहीं ये रणनीति का हिस्सा तो नहीं…
सपाक्स का बतौर दल चुनाव आयोग में पंजीयन नहीं होने पर पार्टी के सदस्यों के बीच कानाफूसी का दौर जारी है।

कुछ कार्यकर्ता नेताजी के बारे में यह तक कहते सुने जा रहे हैं कि जिस पद से सेवानिवृत्ति ली है, वो कानून की बारीकियां जानने वाला है। फिर भी नेताजी ने समय रहते पार्टी का पंजीयन नहीं करवाया, कहीं यह किसी दूसरे राजनीतिक दल को मौन समर्थन देने की रणनीति तो नहीं है।
सोशल मीडिया पर शेर फरमा रहे नेताजी…
भाजपा के एक नेताजी काफी दिनों से सोशल मीडिया पर हर दिन शेर फरमा रहे हैं। जवाब में उन्हें दाद भी खूब मिल रही है।

नेताजी टिकट की दौड़ में हैं, लेकिन उनकी शेरो-शायरी से कार्यकर्ताओं को आभास हो रहा है कि शायद अब टिकट मिलना मुश्किल है।
लिहाजा नेताजी के शायरी प्रेम को लोग मन बहलाने का एक जरिया मानने लगे हैं। अब तो जब सूची जारी होगी, तभी स्थिति साफ होगी कि ऊंट किस करवट बैठा?

Home / Bhopal / ‘पहले के नेता हाथी तो अब के मेढक समान’

loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो