भोपाल

GST Return: बढ़ती जा रही है काम की पेंडेंसी

तय समय के पहले रिटर्न जमा नहीं हुआ तो टर्नओवर का आधा प्रतिशत से लेकर 200 रुपए रोज की पेनल्टी लगेगी।

भोपालOct 24, 2017 / 10:43 am

दीपेश तिवारी

भोपाल। लगातार तारीखें लगने और काम का दबाव बढऩे से रिटर्न जमा होने में सीए और एडवोकेट पर काम का बोझ तो बढ़ा ही है। व्यापारी चाहते हुए भी समय पर रिटर्न जमा नहीं कर पा रहे हैं।
नियम है कि यदि तय समय के पहले रिटर्न जमा नहीं होता है तो टर्नओवर का आधा प्रतिशत से लेकर 200 रुपए रोज की पेनल्टी लगेगी। ऐसी स्थिति में अब इंकमटैक्स रिटर्न भरने, ऑडिट रिपोर्ट सबमिट करने तथा जीएसटी रिटर्न की तारीखें बढ़ाने की मांग उठने लगी है। हाल ही में दिवाली के चलते रिटर्न जमा करने का एवं ऑडिट का काम पिछड़ गया है।
जीएसटी पोर्टल भी तेज गति से काम नहीं कर पाया। टैक्स एक्सपर्ट का कहना है कि काम की पेंडेंसी बढ़ती जा रही है। समय पर रिटर्न फाइल करना मुश्किल होगा। ऐसे में ऑडिट, इंकम टैक्स रिटर्न एवं ट्रांसवन जमा करने की तारीख बढ़ाने की मांग की जा रही है। पूर्व में इंकम टैक्स रिटर्न एवं ऑडिट जमा करने की तारीख बढ़ा दी गई थी जिसके चलते इंकम टैक्स रिटर्न और ऑडिट की बढ़ी हुई तारीख का काम अभी पूरी तरह से निपट नहीं पाया ऊपर से नए टैक्स की तारीखें आ गई हैं।
– 29 अक्टूबर तक : फॉर्म एओसी4 जमा होना है।
– 31 अक्टूबर तक : टीडीएस का रिटर्न जमा होना है, इंकम टैक्स रिटर्न एवं ऑडिट रिपोर्ट जाना है, जीएसटीआर-2 जाना है, जीएसटी के तहत ट्रांसवन जमा होना है।
लगातार त्योहारों की वजह से सीए, एडवोकेट का काम पूरा नहीं हो पा रहा है। ज्यादातर स्टाफ छुट्टी पर है। ऐसे में इंकम टैक्स रिटर्न और ऑडिट व ट्रांसवन फाइल करने की तारीखें आगे बढऩा चाहिए।
– राजेश कुमार जैन, उपाध्यक्ष, टैक्स लॉ बार एसोसिएशन, भोपाल
ये है जीएसटी:
वस्तु एवं सेवा कर या जी एस टी भारत सरकार की नई अप्रत्यक्ष कर व्यवस्था है जो 1 जुलाई 2017 से लागू हो रही है |
GST का पूरा नाम गुड्स एंड सर्विस टैक्स (GST) है। यह केंद्र और राज्य सरकारों की तरफ से लिए जा रहे 20 से अधिक अप्रत्यक्ष करों के एवज में लगाया जा रहा है। जीएसटी 1 जुलाई 2017 से पूरे देश में लागू हो गया है। जीएसटी लगने के बाद कई सेवाओं और वस्तुओं पर लगने वाले टैक्स समाप्त हो गए। इस व्यवस्था से ‘वन नेशन, वन टैक्स’ का कॉन्सेप्ट अमल में आया।
ये टैक्स खत्म: GST लागू होने के बाद सेंट्रल एक्साइज ड्यूटी (केंद्रीय उत्पाद शुल्क), सर्विस टैक्स (सेवा कर), एडिशनल कस्टम ड्यूटी (सीवीडी), स्पेशल एडिशनल ड्यूटी ऑफ कस्टम (एसएडी), वैल्यू एडेड टैक्स (VAT)/सेल्स टैक्स, सेंट्रल सेल्स टैक्स, एंटरटेनमेंट टैक्स, ऑक्ट्रॉय एंड एंट्री टैक्स, परचेज टैक्स, लग्जरी टैक्स खत्म हो गए।
वहीं कुछ चीजें इससे बाहर भी हैं। जीएसटी सेल, ट्रांसफर, परचेज, बार्टर, लीज या गुड्स/सर्विसेज के इंपोर्ट जैसे सभी ट्रांजैक्शंस पर लगाया जा रहा है।

तीन तरह के टैक्स:
GST लागू होने के बाद वस्तुओं एवं सेवाओं पर केवल तीन तरह के टैक्स वसूले जाएंगे. पहला सीजीएसटी, यानी सेंट्रल जीएसटी (सेंट्रल गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स), जो केंद्र सरकार वसूल रही है। दूसरा एसजीएसटी, यानी स्टेट जीएसटी (स्टेट गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स), जो राज्य सरकार अपने यहां होने वाले कारोबार पर वसूल रहा है। तीसरा होगा वह जो कोई कारोबार अगर दो राज्यों के बीच होगा तो उस पर आईजीएसटी, यानी इंटीग्रेटेड जीएसटी (इंटीग्रेटेड गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स) वसूला जा रहा है।
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