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भोपाल

Election 2019 : दिग्विजय को हराने मेरा चुनाव लडऩा जरूरी नहीं – शिवराज

‘पत्रिका’ से विशेष बातचीत में बोले पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज – दिग्विजय को हराने मेरा चुनाव लडऩा जरूरी नहीं, उन्हें तो साधारण सा कार्यकर्ता भी हरा देगा

भोपालApr 06, 2019 / 10:57 am

KRISHNAKANT SHUKLA

 Loksabha election 2019 madhya pradesh news

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हरीश दिवेकर, भोपाल. पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान इस समय बदली हुई भूमिका में हैं। प्रदेश से ज्यादा दूसरे राज्यों में प्रचार कर रहे हैं। लोकसभा चुनाव लडऩे की उनकी इच्छा नहीं है, लेकिन वे कहते हैं संगठन जो निर्णय करेगा उसे मानेंगे। विदिशा से टिकट के लिए उनकी पत्नी का नाम चर्चा में आने पर शिवराज कहते हैं, वहां मुझसे ज्यादा मेरी पत्नी लोकप्रिय हैं। शिवराज ने ‘पत्रिका’ से कई मुद्दों पर चर्चा की।

विदिशा में मुझसे ज्यादा लोकप्रिय हैं साधना सिंह : शिवराज

कमलनाथ पुराने मित्र हैं, क्या उन्होंने कभी फोन लगाकर मित्रवत आपके अनुभव का लाभ लिया?
नहीं ऐसे फोन पर सलाह तो नहीं ली। हमारी मुलाकात हुई तो कुछ मुद्दों पर जरूर बात हुई। मैंने उनसे कुछ योजनाएं बंद नहीं करने के लिए भी कहा है। वैसे कांग्रेस के हर बड़े नेता से मेरा संवाद रहा है।

विदिशा से साधना सिंह को चुनाव लड़ाने की मांग उठ रही है?
विदिशा संसदीय क्षेत्र मेरा परिवार है। यहां मुझसे और मेरी पत्नी साधना से लोगों का सीधा जुड़ाव है। वे कार्यकर्ता के सुख-दुख की चिंता मुझसे ज्यादा करती हैं। यदि मैं कहूं कि वहां मेरी पत्नी मुझसे ज्यादा लोकप्रिय हैं तो अतिश्योक्ति नहीं होगी। साधना ने कभी मुझसे चुनाव लडऩे की इच्छा प्रकट नहीं की, बल्कि कार्यकर्ताओं ने जब उनसे कहा तो उन्होंने प्यार भरी नाराजगी भी प्रकट की, आप मेरा नाम न चलाओ।

दिग्विजय सिंह के सामने भोपाल से आपका नाम आ रहा है? आपकी इच्छा क्या है?
पार्टी के पास सर्वाधिकार सुरक्षित हैं। मैंने अपना फैसला प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और प्रदेश अध्यक्ष अमित शाह पर छोड़ा है। मैं चुनाव में पूरे प्रदेश को समय देना चाहता हूं। केवल दिग्विजय को हराने के लिए चुनाव लडऩा जरूरी नहीं है। वो तो हमारा साधारण सा कार्यकर्ता भी हरा देगा।

किसान कर्जमाफी को कांग्रेस मेगा शॉट मान रही है?
बैंकों को पैसा मिला नहीं कैसा कर्ज माफ। बैंकों को मात्र 1300 करोड़ दिए हैं, पूरा पैसा न मिलने पर बैंक किसानों को नोटिस थमा रहे हैं।

ये चर्चा है कि आप फिर से सीएम बनना चाहते हैं, इसलिए लोकसभा चुनाव लडऩे से इनकार कर रहे हैं?
देखिए, मैं जब पहली बार मुख्यमंत्री बना तो जब तक मेरे नाम की घोषणा नहीं हुई, तब तक मुझे इसकी जानकारी नहीं थी। तब भी भाजपा ने फैसला किया था। अब भी पार्टी ही फैसला करेगी। हम अपने मन से अपने बारे में कुछ तय नहीं करते, ऐसे कार्यकर्ता हैं। पार्टी ने आदेश दिया कि पूरे देश में प्रचार करो तो कर रहा हूं। अब तक 10 राज्यों का दौरा कर चुका हूं।


2014 में भाजपा के पास 27 सीटें थीं, इस बार क्या होगा?
हम 29 सीटों के लिए आशान्वित हैं। नेतृत्व के सवाल पर पूरा देश नरेंद्र मोदी के पीछे खड़ा है। लोग उन्हें फिर से प्रधानमंत्री के तौर पर देखना चाहते हैं। दूसरा कारण तीन माह में प्रदेश की सरकार के काम-काज से आज जनता को सरकार-सरकार में अंतर दिखने लगा है।

भाजपा में टिकट वितरण को लेकर प्रदेश में असंतोष है?
सोच समझकर टिकट दिए गए हैं। भाजपा बड़ी पार्टी है समान तरह की योग्यता रखने वाले कार्यकर्ता हैं तो स्वभाविक रूप से अपनी बात रखते हैं तो कुछ विरोध भी दर्ज कराते हैं।

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