सबसे पहले नामीबिया से आठ चीते श्योपुर के कूनों अब्यारण में आ रहे हैं। बताया जा रहा है कि नामीबिया में चीतों को भेजने से पहले उनकी मेडिकल जांच की गई तो तीन चीतों को कूनो पालपुर नेशनल पार्क के वातावरण के अनुकूल नहीं पाया गया। अब फिर से दूसरे चीतों के मेडिकल रिपोर्ट की जाएगी और अगर वह यहां के वातावरण के अनुकूल पाए जाते हैं तो उनको भारत भेजा जाएगा।
नए चीतों की तलाश में ऐसे में नामीबिया में कुछ और समय लगने से चीतों को भारत आने में और अधिक समय लग सकता है। भेजने से पहले इन चीतों को क्वारेंटाइन किया जाना है। इससे पहले भेजे जा रहे तीन चीते केप्टिव ब्रीड के हैं इन चीते कूनों के जंगलों में शिकार नहीं कर सकते क्योंकि इनमें शिकार करने की क्षमता नहीं है।
कूनो के जंगल में जंगली कुत्ते और राजस्थान के तेंदूए के जंगल में आने से इन चीतों को खतरा है। इसलिए नामीबिया और भारत दोंनो के वाइल्डलाइफ एक्सपर्ट इस नतीजों पर पहुंचे हैं कि जो चीते भारत भेजे जा रहे थे वह यहां के कूनों में सर्वाइव नहीं पाएंगे। अब फिर से नए चीतों का चुनाव कर उनको पहले क्वारेंटाइन किया जाएगा। जिससे 45 दिन का समय और बढ़ गया है।
वही इस मामले केन्द्रिय वन मंत्रालय के द्वारा कूनो नेशलन पार्क को भी चीतों केा भारत लाये जाने की तिथि नहीं बताई गई है। चीतों के बारत आने से पहले ही प्रदेश के वन मंत्री विजय शाह विदेश घूमने की तैयारी कर चुके हैं। वह 22 से 28 अगस्त तक साउथ अफ्रीका और तंजानिया जाएंगे और उनके साथ वन बल प्रमुख आरके गुप्ता और अन्य अधिकारी भी इन देशों की यात्रा करेंगे। वन मंत्री के टूर में तंजानिया में सेरेंजेटा और साउथ अफ्रीका का क्रूरगढ़ पार्क शामिल किया गया है।