भोपाल

9 साल के बच्चे ने चलाया था आंदोलन, आज है मध्यप्रदेश का CM

(MP के CM शिवराज सिंह चौहान ने अपने 29 नवंबर 2017 को मुख्यमंत्रित्व काल के 12 साल पूरे कर लिए। इसी मौके पर mp.patrika.com बताने जा रहा है उन्हीं से जु

भोपालNov 29, 2017 / 02:07 pm

Manish Gite

Madhya Pradesh Chief Minister Shivraj Singh Chauhan

 

(MP के CM शिवराज सिंह चौहान ने 29 नवंबर 2017 को अपने मुख्यमंत्रित्व काल के 12 साल पूरे कर लिए। इसी मौके पर mp.patrika.com बताने जा रहा है उन्हीं से जुड़े दिलचस्प किस्से…।)


भोपाल। बहुत कम ही लोग जानते होंगे कि शिवराज सिंह के मुख्यमंत्री बनने का सफर तो 9 साल की उम्र में ही शुरू हो गया था, जब एक छोटे से बच्चे ने अपने ही गांव में मजदूरों की मेहनत का पैसा दोगुना करने के लिए आंदोलन छेड़ दिया था। शिवराज के आंदोलन की इस आग ने सभी मजदूरों को एकसाथ कर दिया था और सभी ने हड़ताल में हिस्सा लेकर अपना हक मांगा था और उनकी मांग भी पूरी हो गई थी। तभी मजदूरों ने कह दिया था कि ये बच्चा बड़ा होकर नाम कमाएगा। मजदूरों की बातें भी सच हुई और 9 साल का वहीं बच्चा आज मध्यप्रदेश का मुख्यमंत्री है। MP के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने 29 नवंबर 2017 को अपने कार्यकाल के 12 वर्ष पूरे कर लिए।

 

आज तक नहीं भूले चाचा से हुई थी पिटाई
शिवराज सिंह कई सभाओं में यह दिलचस्प किस्सा बताते रहते हैं। उन्होंने बताया था कि जब वे 9-10 साल के थे, तब नर्मदा के तट पर एक दिन बूढ़े बाबा के चबूतरे पर उन्होंने ग्रामीण मजदूरों को एकजुट किया था और उनसे बोले- दो गुना मजदूरी मिलने तक काम बंद कर दो। मजदूरों का जुलूस लेकर शिवराज नारे लगाते हुए पूरे गांव में घूमते रहे। जैत गांव में 20-25 मजदूरों के साथ एक बच्चा नारे लगाते घूम रहा था, मजदूरों का शोषण बंद करो, ढाई पाई नहीं-पांच पाई दो। सभी हैरान थे।

 

घर लौटे तो चाचा आग-बबूला हो रहे थे, क्योंकि शिवराज के प्रोत्साहन करने से परिवार के मजदूरों ने भी हड़ताल कर दी थी। इस पर चाचा ने शिवराज सिंह की पिटाई कर दी। पिटाई करते हुए चाचा उन्हें पशुओं के बाड़े में ले गए और डांटते हुए बोले- अब तुम इन पशुओं का गोबर उठाओ, इन्हें चारा डालो और जंगल में चराने ले जाओ। शिवराज ने उनकी बात मान ली और यह पूरा काम पूरी लगन के साथ किया। इसके साथ ही उन्होंने मजदूरों को तब तक काम पर नहीं आने दिया, जब तक पूरे गांव ने मजदूरी दोगुनी नहीं कर दी।

 

 

फिर जैत से आए भोपाल
शिवराज उत्साहित थे, देश की युवा शक्ति को अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद से जोड़ने का अभियान चल रहा था। वे विद्यार्थी परिषद के सदस्य बन गए। फिर उन्हें भोपाल के मॉडल हायर सेकंडरी स्कूल के छात्र संघ के चुनाव में लडऩे का मौका मिला। सन् 1975 में 16 वर्ष के इस किशोर को छात्र संघ का अध्यक्ष चुन लिया गया था। लगातार संघर्ष करते-करते वे एक प्रखर और मुखर छात्र नेता के रूप में उभरने लगे। धारा प्रवाह और धारदार भाषण देने की शैली बचपन से आ गई थी और बढ़े होते-होते उनकी शैली काफी लोकप्रिय हो गई। वे राष्ट्रीय मुददों पर भी छात्र-छात्राओं के बीच ओजस्वी वाक् कला के लिए पहचाने जाने लगे थे।
 

 

Madhya Pradesh Chief Minister Shivraj Singh Chauhan
एक नोट और एक वोट से बने स्टार प्रचार
1990 में शिवराज को भाजपा संगठन ने बुदनी से चुनाव लडऩे को कहा गया। इससे पहले शिवराज 13 सालों तक पार्टी के लिए लोकसभा, विधानसभा के अलावा स्थानीय चुनावों में धुआंधार प्रचार कर चुके थे। प्रचार के दौरान शिवराज ग्रामीणों से मिले भोजन पर ही निर्भर थे। शिवराज सिंह ने मतदाताओं से एक वोट और एक नोट मांगा। इस नारे ने उन्हें स्टार बना दिया।
 

ऐसे तय हुआ सीएम बनने का सफर
2005 में शिवराज भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष बने। चौहान को 29 नवंबर 2005 को मुख्यमंत्री पद की शपथ दिलाई गई। तेरहवीं विधानसभा के निर्वाचन में चौहान ने भारतीय जनता पार्टी के स्टार प्रचारक की भूमिका निभाई। चौहान को 10 दिसंबर 2008 को भारतीय जनता पार्टी के 143 सदस्यीय विधायक दल ने सर्वसम्मति से नेता चुना गया। उन्होंने 12 दिसंबर 2008 को भोपाल के जंबूरी मैदान में एक भव्य शपथ ग्रहण समारोह में मुख्यमंत्री पद की शपथ दिलाई गई।

विदिशा से पांच बार सांसद रहे शिवराज
चौहान 1990 में पहली बार बुदनी विधानसभा क्षेत्र से विधायक चुने गए और 1991 में विदिशा संसदीय क्षेत्र से पहली बार सांसद बने। ग्यारहवीं लोकसभा में वर्ष 1996 में शिवराज सिंह विदिशा संसदीय क्षेत्र से पुन: सांसद चुने गए। चौहान 1998 में विदिशा संसदीय क्षेत्र से ही तीसरी बार बारहवीं लोक सभा के लिए सांसद चुने गए।
 

शिवराज सिंह 1999 में विदिशा से ही चौथी बार तेरहवीं लोक सभा के लिए सांसद निर्वाचित हुए। सन 2000 से 2003 तक शिवराज सिंह भारतीय जनता युवा मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष रहे। चौहान 2000 से 2004 तक संचार मंत्रालय की परामर्शदात्री समिति के सदस्य रहे। शिवराज सिंह पॉचवी बार विदिशा से चौदहवीं लोक सभा के सदस्य निर्वाचित हुए। उन्हें वर्ष 2005 में भारतीय जनता पार्टी का प्रदेश अध्यक्ष नियुक्त किया गया।

सुंदरलाल पटवा हैं शिवराज के गुरु
पूर्व मुख्यमंत्री सुंदरलाल पटवा शिवराज के राजनीतिक गुरू थे। पटवा कहते थे शिवराज का व्यक्तित्व दक्ष प्रशासक का है। जिसे विरासत में बीमारू मध्यप्रदेश मिला। अनुभवहीन प्रशासक की आशंका थी। लेकिन, शिवराज ने दिन के 20 से 22 घंटे लगातार काम करके योग्य प्रशासकों की टीम खड़ी कर ली। प्रदेश में विकास की उपलब्धियों का नया इतिहास रच डाला।

दर्शनशास्त्र में गोल्डमेडलिस्ट भी
बरकतउल्ला विश्वविद्यालय से दर्शनशास्त्र में स्नातकोत्तर में स्वर्ण पदक के साथ शिक्षा प्राप्त की। 1975 में मॉडल हायर सेकंडरी स्कूल में पढ़ाई की और छात्रसंघ अध्यक्ष बनकर राजनीति में कदम रखा। आपात काल का विरोध और 1976-77 में भोपाल जेल में बंद होने के बाद वे चर्चाओं में आने लगे। लोगों की समस्याओं के समाधान के लिए आंदोलन करने लगे और कई बार जेल गए। 1977 से राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के स्वयंसेवक हैं। 1992 में उनका विवाह साधना सिंह के साथ हुआ। उनके दो पुत्र कार्तिकेय और कुणाल हैं।

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