भोपाल

ओबीसी आरक्षण पर कांग्रेस-भाजपा में घमासान, श्रेय लेने की मची होड़

obc reservation- कमलनाथ सरकार ने लागू किया था, शिवराज सरकार में स्टे लगा, अब दोनों ही पार्टियां ओबीसी को आरक्षण दिलाने में जुटी…।

भोपालSep 02, 2021 / 06:02 pm

Manish Gite

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भोपाल। मध्यप्रदेश में ओबीसी मामले में अब सियासत का पारा चढ़ने लगा है। दोनों ही राजनीतिक दल इस मुद्दे को छोड़ना नहीं चाहते। इसीलिए दोनों ही दलों ने अब ओबीसी को 27 फीसदी आरक्षण दिलाने के लिए कमर कस ली है।

ओबोसी आरक्षण पर हाईकोर्ट ने स्टे हटाने से इनकार करने के बाद कांग्रेस नामी वकीलों को उतारने की बात कर रही है। इस पर प्रदेश के गृहमंत्री डा. नरोत्तम मिश्र ने कहा है कि जब कांग्रेस को अधिवक्ता खड़ा करना चाहिए था, तब तो उन्होंने किया नहीं, अब चिल्ला रहे हैं।

हाईकोर्ट में चल रहे ओबीसी मुद्दे पर अब सियासत तेज हो गई है। पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने कहा है कि कोर्ट के स्टे के बाद अब कांग्रेस देश के नामी वकीलों को अदालत में उतारेगी, जिसका पूरा खर्च कमलनाथ खुद उठाएंगे। कांग्रेस ने इसके लिए अभिषेक मनु सिंघवी और इंद्रा जयसिंह के साथ बात की है। प्रदेश में ओबीसी की आबादी 50 फीसदी से अधिक है। इस वर्ग को राज्य में फिलहाल 14 प्रतिशत आरक्षण मिला हुआ था जो मंडल कमीशन की सिफारिशों से भी कम है। ऐसे में दोनों ही दल चाहते हैं कि इस वर्ग को 17 फीसदी आरक्षण मिल जाए। कमलनाथ की सरकार ने 14 प्रतिशत से बढ़ाकर 27 फीसदी आरक्षण लागू कर दिया था, लेकिन कोर्ट में स्टे मिल गया।

 

इसके बाद शिवराज के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार भी ओबीसी वर्ग का आरक्षण 27 फीसदी कराने के प्रयास कर रही है। वहीं केंद्र की मोदी सरकार ने भी हाल ही में 27 फीसदी आरक्षण ओबोसी को देने वाला प्रस्ताव पास कर दिया था, जिस पर राष्ट्रपति ने भी हस्ताक्षर कर दिए थे।

 

पहले क्यों नहीं खड़े किए वकील

मध्यप्रदेश के गृहमंत्री नरोत्तम मिश्र ने गुरुवार को इस मामले में मीडिया से बात करते हुए कहा कि कहा कि कांग्रेस को अधिवक्ता जब खड़ा करना चाहिए थे, तब तो किए नहीं, अब चिल्ला रहे हैं। इससे पहले भी भाजपा की ओर से आरोप लगाए जा चुके हैं कि कमलनाथ सरकार ने समय रहते कोर्ट में अपना पक्ष नहीं रखा, जिसके कारण कोर्ट में ओबीसी आरक्षण पर स्टे लग गया। इधर, कमलनाथ सरकार भी आरोप लगाती रही कि शिवराज सरकार ने इसे गंभीरता से नहीं लिया जिसके कारण स्टे लगा।
कांग्रेस ने विधानसभा को दी गलत जानकारी

प्रदेश के नगरीय विकास और आवास मंत्री भूपेंद्र सिंह का भी ओबीसी मामले में बयान आया है। उन्होंने कहा है कि ओबीसी आरक्षण को लेकर कांग्रेस की तत्कालीन सरकार ने विधानसभा में 2019 में पेश किए गए विधेयक में गलत जानकारी दी थी। इसी कारण हाईकोर्ट में ओबोसी को 27 फीसदी आरक्षण के मामले में स्टे मिल गया।

20 सितंबर को फैसले की उम्मीद

इधर, बुधवार को जबलपुर हाईकोर्ट ने शिवराज सरकार की मांग ठुकराते हुए 14 फीसदी ओबीसी पर आरक्षण बरकरार रखा है। कोर्ट का कहना है कि आरक्षण 50 फीसदी से अधिक नहीं दिया जा सकता है। कोर्ट ने सभी पक्षों को 20 सितंबर को कोर्ट में उपस्थित होने को कहा है।
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क्या था महाधिवक्ता का अभिमत

इस मामले में महाधिवक्ता पुरुषेंद्र कौरव का कहना है कि कोर्ट में चल रहे छह मामलों को छोड़कर सभी मामलों में 27 फीसदी आरक्षण लागू करने के लिए सरकार स्वतंत्र है। इसलिए सभी शासकीय नियुक्तियों और प्रवेश परीक्षाओं में राज्य सरकार ओबीसी वर्ग को 27 फीसदी आरक्षण दे सकती है।

परेशान हो रहे चयनित शिक्षक

इधर, इस स्टे से 32 हजार शिक्षकों के चयन होने के बाद भी नियुक्ति का रास्ता साफ नहीं हो पा रहा है। इस कारण उनकी परेशानी बढ़ती जा रहीहै। चयनित शिक्षकों का कहना है कि हम बेरोजगार हैं, घर का खर्च चलाना मुश्किल हो रहा है। पिछली बार कोरोना काल में परिवहन सेवा बंद होने का हवाला देकर डाक्यूमेंट वेरीफिकेशन की प्रक्रिया रोक दी थी, अब सिर्फ नियुक्ति पत्र देना बाकी रह गया है। चयनित शिक्षकों का कहना है कि सरकार मजबूती के साथ अपना पक्ष नहीं रख रही है, इस कारण तारीख पर तारीख मिल रही है। प्रदेश के 32 हजार चयनित शिक्षक अपनी नियुक्ति के लिए एक-एक दिन गिन रहे हैं। लेकिन, सरकार इस मामले को अगले सत्र तक लटकाना चाहती है। जबकि 18 अगस्त को नियुक्ति का आश्वासन लेने आई कई महिला शिक्षकों को नियुक्ति के स्थान पर सिर्फ एफआइआर मिली।

 


एक नजर

0 पहले 14 फीसदी आरक्षण ओबीसी को मिलता था।
0 कमलनाथ सरकार ने 27 फीसदी आरक्षण लागू कर दिया।
0 एक छात्रा अशिता दुबे की याचिका पर कोर्ट ने स्टे दे दिया।

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