मंत्री पीयूष गोयल ने कहा कि कांग्रेस का ये हाल देखकर मुझे वो कहावत याद आती है जो पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी दोहराते थे ‘कहीं की ईंट कहीं का रोड़ा, भानुमति ने कुनबा जोड़ा’। कांग्रेस तो कुनबा भी नहीं जोड़ पा रही।
मंत्री पीयूष गोयल से बातचीत के कुछ अंश…
प्रश्न: मोदी सरकार के खिलाफ देशभर की विपक्षी पार्टियां एक हो रही हैं?
कैसा गठबंधन, मैं तो रोज अखबारों में ही पढ़ता हूं, बनने के पहले ही ये लोग बिखर चुके हैं। मध्यप्रदेश और राजस्थान में कहां हुआ गठबंधन। सभी पार्टियों ने प्रत्याशी उतारे हैं।
प्रश्न: मप्र में चुनाव मोदी फैक्टर पर असरकारक है या शिवराज?
इसमें कहीं कोई अंतर्विरोध की स्थिति नहीं है। मोदी और शिवराज के डबल इंजिन ने मध्यप्रदेश में प्रगति और उन्नति की रेल को तेजी से दौड़ाया है। मोदी देश के तो शिवराज के लोकप्रिय नेता हैं। मुझे पूरा विश्वास है दोनों के नेतृत्व में एेतिहासिक जीत होगी।
प्रश्न: भाजपा की सहयोगी शिवसेना अब विरोध क्यों कर रही है?
मुझे एेसी कोई नाराजगी नहीं दिखती, कुछ दिन पहले ही मैं उद्धव ठाकरे से मिला हूं। सरकार की नीतियों पर तो हम भाजपा के अंदर भी कहते हैं कि चर्चा हो, बात रखें। उद्धव ने कभी मोदी पर व्यक्तिगत टीका टिप्पणी नहीं की है। वे केन्द्र सरकार की नीति पर अपनी बात रखते हैं।
प्रश्न: रेलमंत्री बनने के बाद आपने दस लाख लोगों को रोजगार देने का वादा किया था। उसका क्या हुआ?
रेलवे में 1.30 लाख लोगों की भर्ती प्रक्रिया शुरू हो गई है। अगले छह माह में भर्तियां हो जाएंगी। रही बात दस लाख लोगों को नौकरी देने की तो इसमें प्रत्यक्ष और प्रत्यक्ष रूप से रोजगार शामिल हैं।
आज हमारे रेलवे के बड़े-बड़े प्रोजेक्ट डबलिंग, ट्रिपलिंग, डेडिकेटेड कॉरिडोर, नैरोगेज से ब्रॉडगेज और जल्द ही बुलेट ट्रेन का भी काम शुरू होने वाला है, इन सारी व्यवस्था में लगभग दस लाख से ज्यादा लोगों को अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार मिलना तय है। लोगों को रोजगार मिला है।
प्रश्न: रेलवे के नए प्रोजेक्ट में निजी कंपनियों को देने के लिए प्वॉइंट वेंचर का फॉर्मूला फाइलों में दब गया?
हमारा प्रयास है कि हम देश में प्वॉइंट वेंचर में कुछ नए प्रोजेक्ट शुरू करें। हर राज्यों में उनकी जरूरत के हिसाब से प्वॉइंट वेंचर में गति आ रही है। छत्तीसगढ़ में कोयला बड़े रूप में है, इकॉनोमिकली वायबल रेलवे ट्रेक ज्यादा हैं, इसलिए हम जेवी में वहां ज्यादा काम शुरू करने की स्थिति में हैं।
मध्यप्रदेश में दूरदराज के इलाके हैं, एेसे में यहां इकॉनोमिक से ज्यादा ह्यूमन वायबिलिटि ज्यादा हैं। जहां ज्वॉइंट वेंचर कंपनी रुचि नहीं लेंगी, वहां केंद्र काम करेगा।
प्रश्न: केन्द्र-राज्य में एक ही पार्टी की सरकार होने के बावजूद मुख्यमंत्री शिवराज को कोयले के लिए 10-10 पत्र लिखना पड़े। ऐसा क्यों?
यह कहना गलत है कि मध्यप्रदेश में कोयले की कोई कमी है। पिछले 14 सालों में बिजली का उत्पादन छह गुना ज्यादा बढऩे से डिमांड बढ़ी है। एेसे में कभी कोयला आपूर्ति में विलंब हो जाता है, लेकिन कभी कोयला खत्म होने जैसी स्थिति नहीं बनी।
प्रश्न: क्या कोयले के खदान आवंटन से संचालन का काम निजी हाथों में देने की तैयारी है?
इस पर विचार चल रहा है। कांग्रेस सरकार में कोयले की खदानों का आवंटन रिश्तेदार और मित्रों को होता था। हम पारदर्शी तरीके से आवंटन कर रहे हैं।
प्रश्न: रेलवे 35 हजार करोड़ के घाटे में क्यों है?
रेलवे में जो घाटा है उसे वास्तविक रूप से घाटे के रूप में नहीं देखना चाहिए। 160 साल पुरानी संस्था है। रेलवे में 13 लाख कर्मचारी हैं, उससे अधिक पेंशनर्स हैं।
लगभग 45 हजार करोड़ रुपए सालाना पेंशन का भुगतान होता है। रेलवे में जो गरीब और मध्यम वर्ग के यात्री की सहूलियत को ध्यान में रखते हुए किराए में सब्सिडी दी जाती है। 40-45 प्रतिशत एक तरह से रियायत देते हैं।
प्रश्न: रेलवे सुविधाओं और वेटिंग को लेकर हमेशा से सवाल उठते हैं?
मुंबई से हैदराबाद तक सिंगल लाइन रेलवे की सेवा होने से हम पूरी क्षमता से ट्रेन नहीं चला पा रहे है। डबलिंग-ट्रिपलिंग रेल लाइन का काम चल रहा है। भोपाल-इंदौर सहित अन्य जगहों से दक्षिण की ओर जाने वाली ट्रेन की डिमांड है। हमने लाइनों की कैपेसिटी की कमी को दूर करने का काम किया है। हमने चार साल में ढाई गुना निवेश किया है, जल्द ही आपको इसका असर दिखाई देगा।