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भोपाल

पहिले पानी के जुगाड़ बाद मा देखब चुनाव…

आदिवासी बाहुल्य उमरिया में खराब स्वास्थ्य, शिक्षा व्यवस्था और सूखे को लेकर नाराजगी…

भोपालNov 12, 2018 / 03:08 pm

दीपेश तिवारी

umariya report

पहिले पानी के जुगाड़ बाद मा देखब चुनाव…

शिवमंगल सिंह की रिपोर्ट…

धान के फसल सूख गई। अब गेहूं-चना बोमैं खातिर पानी के जुगाड़ कइ लेई, चुनाव का बाद मा देखब। जमुड़ी गांव के उप सरपंच रमजोर सिंह ये बात बहुत निराश होकर कही।
जुमड़ी उमरिया जिले के घुनघुटी-मानपुर रोड पर 15 किमी अंदर बसा है। रमजोर बोले, स्टॉप डैम बनाने के लिए करोड़ों रुपए खर्च किए गए, लेकिन उनमें पानी नहीं रुका। स्टॉप डैम निर्माण की ठीक से जांच हो जाए तो कई लोगों को जेल की हवा खानी पड़ेगी।
संजीव कुमार सिंह बोले, हमारे गांव में 12वीं तक स्कूल खोल दिया गया। बिल्डिंग भी बन गई, मास्टर नहीं हैं। बच्चे दूसरे गांवों में पढऩे जाते हैं। यही हाल अस्पताल का है, डॉक्टर को मानपुर भेज दिया है।
एक नर्स की ड्यूटी चौरी और दूसरी की घुनघुटी में लगा दी गई। अस्पताल की देख-रेख स्वीपर कर रहा है। बुजुर्ग बीरा सिंह चुनाव की बात आते ही गुस्से में बोले, नेता लोग हाथ जोड़-जोड़के वोट लै लेथ हंै, एखे बाद मुडि़के कहां देखत हैं।
पटनार खुर्द गांव निवासी पन्नालाल बैगा कहते हैं, धान की फसल सूख गई है। गेहूं की बुवाई करना मुश्किल है। वोट की बात तो तब सोचेंगे जब कोई प्रत्याशी मैदान में आएगा।

लोगों में एट्रोसिटी एक्ट को लेकर भी भय की स्थिति है। छादा गांव के दुकानदार विजय रघुवंशी कहते हैं, हम चुनाव के मामले में कुछ नहीं कह सकते। कोई मुझे फंसा देगा तो जिंदगी ही चौपट हो जाएगी।
ललन यादव बोले, गांवों में बेरोजगारी बहुत है। पढ़े-लिखे लोग बेकार घूम रहे हैं। हमारे आसपास कई बड़े प्रोजेक्ट हैं, उनमें काम नहीं मिलता है। संजय गांधी ताप विद्युत केंद्र, मालाचुआ परियोजना, पिनौरा कॉलरी होने के बाद भी स्थानीय युवाओं को पांच हजार तक की नौकरी नहीं मिल रही।
नेता भी चुप रहते हैं। घुनघुटी निवासी भैया तिवारी कहते हैं, इस बार इस इलाके में नेताओं की निष्क्रियता बड़ा मुद्दा है। एक बार वोट लेने के बाद गांव में पैर नहीं रखते। नई योजना के नाम पर यहां कुछ नहीं है।
अब देखो, उमरिया में कई ट्रेनों के स्टॉपेज की मांग बहुत दिन से चल रही है, कोई सुनवाई नहीं हो रही। आकाश सिंह गोड़ कहते हैं कि शिक्षा की हालत बहुत खराब है, स्कूलों का उन्नयन तो कर दिया गया लेकिन शिक्षकों की भर्ती नहीं की गई।

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