* अलग-अलग जगह लंगर
प्रत्याशियों ने खाने-पीने पर भारी रकम खर्च की। क्षेत्र के अलग-अलग जगह लंगर लगाए गए थे। यहां प्रचारकों और आम नागरिकों ने भोजन किया। चाय-नाश्ते के लिए नकद राशि दिए जाने से खर्चे में नहीं आया। बहुत कम कार्यकर्ताओं के खाने-पीने और नाश्ते दिए जाने की जानकारी दी गई है।
– मुख्य कार्यालय का चाय का खर्चा दिखाया
– दुकानदार बिल कम करवाकर लिया।
– नाश्ता दिखाया ही नहीं, जिन्होंने बताया वह भी बहुत कम
– हलवाई से ही सीमित खाने के पैकेट के बिल लिए
– कार्यकर्ताओं की संख्या कम बताई
– जनता खाना बताकर खर्चा छिपाया
प्रत्याशियों ने खाने-पीने पर भारी रकम खर्च की। क्षेत्र के अलग-अलग जगह लंगर लगाए गए थे। यहां प्रचारकों और आम नागरिकों ने भोजन किया। चाय-नाश्ते के लिए नकद राशि दिए जाने से खर्चे में नहीं आया। बहुत कम कार्यकर्ताओं के खाने-पीने और नाश्ते दिए जाने की जानकारी दी गई है।
– मुख्य कार्यालय का चाय का खर्चा दिखाया
– दुकानदार बिल कम करवाकर लिया।
– नाश्ता दिखाया ही नहीं, जिन्होंने बताया वह भी बहुत कम
– हलवाई से ही सीमित खाने के पैकेट के बिल लिए
– कार्यकर्ताओं की संख्या कम बताई
– जनता खाना बताकर खर्चा छिपाया
* प्रचार-सामग्री का रोल
– हजारों कार्यकर्ता चुनाव क्षेत्र में प्रचार सामग्री बांटते रहे, लेकिन मुद्रित प्रचार सामग्री का हिसाब बेहद कम का हिसाब दिया।
– 3 दिन में 1 बार प्रचार सामग्री छपवाना बताया
– पंफलेट की संख्या ज्यादा, बैनर-पोस्टर कम
– हजारों कार्यकर्ता चुनाव क्षेत्र में प्रचार सामग्री बांटते रहे, लेकिन मुद्रित प्रचार सामग्री का हिसाब बेहद कम का हिसाब दिया।
– 3 दिन में 1 बार प्रचार सामग्री छपवाना बताया
– पंफलेट की संख्या ज्यादा, बैनर-पोस्टर कम
* मालाओं का गोलमाल
हर रोज हजारों रुपए के फूल माला खरीदे गए। स्टार प्रचारकों के दौरे में तो यह बजट और भी बढ़ गया। प्रत्याशियों ने अपने प्रचार क्षेत्र के कार्यकर्ताओं तक पहले ही इसका बजट उपलब्ध करा दिया था, लेकिन जब हिसाब की बारी आई तो इतना कम बताया कि जैसे पूजा पाठ के लिए भर ही फूल माला खरीदा।
हर रोज हजारों रुपए के फूल माला खरीदे गए। स्टार प्रचारकों के दौरे में तो यह बजट और भी बढ़ गया। प्रत्याशियों ने अपने प्रचार क्षेत्र के कार्यकर्ताओं तक पहले ही इसका बजट उपलब्ध करा दिया था, लेकिन जब हिसाब की बारी आई तो इतना कम बताया कि जैसे पूजा पाठ के लिए भर ही फूल माला खरीदा।
– आयोग को नहीं बताया कितने कार्यालय खोले
विधानसभा क्षेत्र की भौगोलिक सीमा और कस्बों की संख्या के लिहाज से प्रत्याशियों ने चुनाव कार्यालय खोले गए। औसतन हर सीट पर 30 तक कार्यालय बनाए गए। इनमें कई किराए पर थे। वहां रखी कुर्सियां, दरी, ओढऩे, बिछाने के कपड़े किराए पर रखे गए थे। खर्च में प्रत्याशियों ने अपने मुख्य कार्यालय के अलावा इक्का-दुक्का कार्यालय ही घोषित किया। उसे भी पार्टी और कार्यकर्ताओं पर थोप दिया।
– पार्टी खर्चे की ली आड़
खर्चे में सबसे अधिक गोलमाल पार्टी की आड़ में किया गया। आयोग ने प्रत्याशी पर खर्च की सीमा तो लगा रखी है, पर पार्टियों पर कोई पाबंदी नहीं है और हिसाब देने की अनिवार्यता भी नहीं है। यही वजह है कि सभाओं की तैयारी, टेंट के सामान सहित अन्य खर्चों को पार्टी की ओट में छिपा लिया।
– पैड कार्यकर्ता का हिसाब नहीं
चुनाव के दौरान कई स्थानों से ऐसे वीडियो सामने आए थे जब जयकारे लगाने से लेकर कलश और पार्टी के झंडे उठाने के लिए लोग भाड़े पर लाए गए थे। इसके साथ ही प्रचारक भी पैसे देकर लगाए गए थे। यह पूरा भुगतान नकदी में होने से सामने नहीं आ पाया। कुछ ही प्रत्याशियों ने भाड़े पर रखे गए लोगों के बारे में जानकारी दी है।
– शराब का नहीं हिसाब
चुनाव में वाहनों के ईंधन के साथ शराब भी खूब बंटी। चूंकि चुनाव आचार संहिता में यह पूरी तरह से प्रतिबंधित है, इसलिए किसी प्रत्याशी ने इसे खर्च में शामिल नहीं किया। जबकि एक बड़ा हिस्सा इस पर व्यय हुआ। प्रत्याशियों और उनके थैलीदारों ने बकायदा पर्चियां बांटकर शराब उपलब्ध कराई। ऐसी पर्चियां सोशल मीडिया पर वायरल भी हुईं, लेकिन किसी प्रत्याशी विशेष के नाम का खुलासा नहीं हुआ।
विधानसभा क्षेत्र की भौगोलिक सीमा और कस्बों की संख्या के लिहाज से प्रत्याशियों ने चुनाव कार्यालय खोले गए। औसतन हर सीट पर 30 तक कार्यालय बनाए गए। इनमें कई किराए पर थे। वहां रखी कुर्सियां, दरी, ओढऩे, बिछाने के कपड़े किराए पर रखे गए थे। खर्च में प्रत्याशियों ने अपने मुख्य कार्यालय के अलावा इक्का-दुक्का कार्यालय ही घोषित किया। उसे भी पार्टी और कार्यकर्ताओं पर थोप दिया।
– पार्टी खर्चे की ली आड़
खर्चे में सबसे अधिक गोलमाल पार्टी की आड़ में किया गया। आयोग ने प्रत्याशी पर खर्च की सीमा तो लगा रखी है, पर पार्टियों पर कोई पाबंदी नहीं है और हिसाब देने की अनिवार्यता भी नहीं है। यही वजह है कि सभाओं की तैयारी, टेंट के सामान सहित अन्य खर्चों को पार्टी की ओट में छिपा लिया।
– पैड कार्यकर्ता का हिसाब नहीं
चुनाव के दौरान कई स्थानों से ऐसे वीडियो सामने आए थे जब जयकारे लगाने से लेकर कलश और पार्टी के झंडे उठाने के लिए लोग भाड़े पर लाए गए थे। इसके साथ ही प्रचारक भी पैसे देकर लगाए गए थे। यह पूरा भुगतान नकदी में होने से सामने नहीं आ पाया। कुछ ही प्रत्याशियों ने भाड़े पर रखे गए लोगों के बारे में जानकारी दी है।
– शराब का नहीं हिसाब
चुनाव में वाहनों के ईंधन के साथ शराब भी खूब बंटी। चूंकि चुनाव आचार संहिता में यह पूरी तरह से प्रतिबंधित है, इसलिए किसी प्रत्याशी ने इसे खर्च में शामिल नहीं किया। जबकि एक बड़ा हिस्सा इस पर व्यय हुआ। प्रत्याशियों और उनके थैलीदारों ने बकायदा पर्चियां बांटकर शराब उपलब्ध कराई। ऐसी पर्चियां सोशल मीडिया पर वायरल भी हुईं, लेकिन किसी प्रत्याशी विशेष के नाम का खुलासा नहीं हुआ।