छात्र सुहद तिवारी के अनुसार परीक्षा विभाग में उसने खुद एग्जाम कॉपी देखी थी। जिस कॉपी में छात्र को 36 नंबर मिले हैं उसी छात्र के रिजल्ट में 2 नंबर दिख रहे हैं। वहीं एक अन्य छात्र जिसको 30 नंबर मिले हैं उसके रिजल्ट में 14 नंबर दिख रहे है। इससे साफ है कि कंप्यूटर पर अपलोड करने वाली कंपनी ने लापरवाही बरती है।
विद्यार्थियों की उत्तर पुस्तिकाओं के मूल्यांकन में गड़बड़ी के दो मुख्य कारण बताए जा रहे हैं। पहली गड़बड़ी यह कि मूल्यांकन में ही गलती हुई हो। दूसरी गड़बड़ी उत्तर पुस्तिकाओं के ओएमआर शीट की स्कैनिंग के दौरान अंक गलत चढ़ गए हों। क्योंकि इसके पहले भी ओएमआर शीट स्कैनिंग में गड़बड़ी सामने आई हैं।
दीपेंद्र सिंह बघेल,
प्रभारी रजिस्ट्रार, माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता विवि
उत्तर पुस्तिका में बरती गई लापरवाही काफ ी गंभीर है। इसी को लेकर स्टूडेंट्स प्रदर्शन कर रहे हैं। इस बार उत्तर पुस्तिका को जांचने में हुई लापरवाही का एक कारण यह भी है कि प्रोफेसर उत्तर पुस्तिकाएं अपने घर ले जाते हैं।
विवेक त्रिपाठी,
राष्ट्रीय प्रवक्ता एनएसयूआई
जो स्टूडेंट्स लगातार दो सेमेस्टर से टॉप कर रहे हो सिर्फ वही स्टूडेंट्स कैसे फेल हो सक ते हैं। यह अपने आप में जांच का विषय है। इस तरह का मूल्यांकन उत्तर पुस्तिकाएं जांचने वाली की योग्यता पर ही सवाल खड़ा करता है।
सुहद तिवारी, छात्र
कॉपी जांचने और रिजल्ट को कंप्यूटर में अपलोड करने में लापरवाही कोई पहली बार नहीं हुई है। हर साल ऐसे कई विद्यार्थियों का रिजल्ट बिगाड़ता आया है। कोई सख्त नियम बनना चाहिए।
विकास पाल, छात्र