जनवरी माह में आने वाली मकर सक्रांति पर्व से दो माह पहले इस महोत्सव की शुरुआत कर दी जाती है और समाज के लोग रोजाना एकत्रित होकर भजन, र्कीतन और अयप्पा भगवान की महाआरती करते हंै। महोत्सव के शुभारंभ से पहले अयप्पा भगवान का श्रृंगार किया जाता है। इस दौरान रोज 10 से अधिक दीपक जलाए जाते हंै।
धूमधाम से मनाया जाता है महोत्सव
समाज द्वारा महोत्सव धूमधाम से मनाया जाता है। मंदिर में महोत्सव के लिये ध्वजारोहरण करके मण्डला-मकरविल्लकु महोत्सव का शुभारंभ किया जाता है। यह आयोजन मंदिर के मुखिया शांति सुभाष नारायण लम्बोदरी के नेतृत्व में चल रहे हैं।
समाज के लोग 41 दिन रखते है कठोर व्रत
मलयाली समाज इस महोत्सव को धूमधाम से मनाता आ रहा है। समाज के लोग मकर सक्रांत से दो माह पहले इस त्यौहार का शुभारंभ करके 41 दिन तक कठोर व्रत उपासना करते हुए भगवान अयप्पा की पूजा अर्चना में लीन रहते है।
सक्रांति के बाद जाते है दर्शन के लिए केरल
दो माह के इस महोत्सव के पूरे होने के बाद भक्त केरल दर्शन के लिए जाते है। मलयाली समाज का मुख्य मंदिर केरल सबरीमल है जिसकी तर्ज पर यह महोत्सव मनाया जाता है। संत नगर में रह रहे मलयाली लोग महोत्सव को मनाकर केरल जाते हैं और सबरीमल के मंदिर में पूजा अर्चना कर महोत्सव का समापन करते हैं।
मंडला मकरविल्लकु महोत्सव हर वर्ष केरल स्थित सबरीमल मंदिर की तर्ज पर मनाया जाता है। अयप्पा मंदिर में समाज के लोग एकत्रित होकर महोत्सव को धूमधाम से मनाते हंै। यह साल का सबसे बड़ा त्योहार माना जाता है। इसमें 41 दिनों तक व्रत रखा जाता है। इन दिनों में समाज के लोग अयप्पा भगवान की भक्ति में लीन रहते हैं।
अनिल नायर, अध्यक्ष, अयप्पा मंदिर