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भोपाल

पानी का 2484 करोड़ रुपए दबाकर बैठी हैं many organizations

– पानी का पैसा देने में बिजली कंपनियां कई कदम आगे
– औद्योगिक इकायों पर पिछले सात वर्षों से साढ़े 14 सौ करोड़ रुपए वकाया है, जिसे वसूलने में विभाग को आ रहा है पसीना

भोपालMay 16, 2022 / 10:21 pm

Ashok gautam

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भोपाल। प्रदेश के सौ से अधिक big industries पानी का करोड़ों रुपए वर्षों से दबाए बैठे हैं। ये औद्योगिक इकाइयां Department of Water Resources के मैदानी अमले को किसी भी वर्ष पानी का पूरा पैसा नहीं देती हैं। बिल का आधा-अधूरी राशि देकर चलता कर देती हैं। industrial units पर पिछले सात वर्षों से साढ़े 14 सौ करोड़ रुपए वकाया है, जिसे वसूलने में विभाग को पसीना आ रहा है।
Department of Water Resources विभिन्न बांधों से farmersको सिंचाई, शहरों और गांवों के लोगों को पीने के लिए पानी, विद्युत कंपनी, सहित अन्य संस्थाओं को पांच सौ करोड़ रुपए से लेकर 14 सौ करोड़ रुपए तक प्रति वर्ष पानी बेचता है। इसमें से उक्त संस्थान विभाग को पचास फीसदी भी राशि नहीं देते हैं। पिछले पांच वर्ष के पानी सप्लाई के आंकड़ों का अध्ययन किया जाए आधे से भी कम वसूली हो पा रही है। उदाहरण के तौर पर वर्ष 2016 में पांच सौ करोड़ रुपए में से उक्त संस्थाओं ने सिर्फ दो सौ करोड़ विभाग में जमा किया है, शेष राशि आज भी बकाया है। इस मामले में विद्युत कंपनी सबसे आगे है। विद्युत कंपनी का बमुश्किल सौ से 50 करोड़ रुपए बकाया होगा। हालात यह है कि वसूली नहीं होने से विभाग की हालत खराब होती जा रही है, क्योंकि राजस्व वसूली के आधार पर ही विभागों का सरकार के बजट आवंटन में वजूद बढ़ता है और उन्हें संसाधन और सुविधाएं भी इसी आधार पर दिया जाता है।


निकाय भी नहीं दे रहे हैं पानी का पैसा
नगरीय निकाय भी पानी का पैसा नहीं दे रहे हैं। भोपाल, इंदौर सहित विभिन्न निकायों का 333 करोड़ रुपए में से सिर्फ दस फीसदी राशि ही वसूल हो पाई है। नगरीय निकायों का यह तर्क होता है कि जैसे ही पानी का पैसा लोगों से पानी का पैसा वसूल जाएगा, वैसे ही वे विभाग को अदा कर देंगे। निकायों को पानी बंद करने के मामले में सरकार और अफसरों की अलग तरह की सहानुभूति होती है, इससे विभाग पैसे नहीं देने के बदले में पानी नहीं बंद कर पाता है।

प्राकृतिक आपदा कारण किसानों से नहीं की जाती सख्ती
प्रदेश में पिछले कई वर्षों से लगातार ओलापाल, भारी बारिश, बाढ़ सहित अन्य प्राकृति आपदा आ रही है, इससे विभाग किसानों से सिंचाई का पैसा वसूली में सख्ती नहीं कर पाता है। दो वर्षों से तो किसान इस लिए पानी का पैसा नहीं दे रहे हैं क्योंकि वे यह सोच रहे हैं कि सरकार चुनाव से पहले सिंचाई का पैसा माफ कर देगी। प्रदेश में करीब 30 लाख हेक्टेयर में फसल की सिंचाई की जाती है। जिसमें करीब सौ करोड़ रुपए वसूली का लक्ष्य रखा जाता है, लेकिन वसूली सिर्फ एक तिहाई ही हो पाती है।
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पानी के पैसे को लेकर विभिन्न संस्थाओं से लक्ष्य और वसूली (राशि करोड़ में)
वर्ष—–कृषि,-वसूना था -वसूल हुई –निकाय – वसूना था -वसूल हुई -उद्योग, वसूना था -वसूली हुई
2015-16—-74.33–24.63———-36.02—-2.73————-396.12—–187.64
2016-17—-175.74–24.75———-12.56—-3.01————-225.98—-196.64
2017-18 —-225.19–23.53———-40.83—-4.61————-212.40—–150.78
2018-19—-235.14–13.78———-42.21—-1.81————-244.40—–377.87
2019-20—-263.47–33.70———-153.09—-3.24————-778.60—–187.64
2020-21—-65.45–32.33———-23.19—-5.61————-225.29—–208.50
2021-20—-740.90–24.83———-24.85—-10.25————-224.492—–148.85
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वर्ष—–विद्युत,–वसूना था -वसूली हुई——अन्य, वसूना था -वसूली हुई
2015-16—-42.61–50.19———-50.92—-25.64
2016-17—-64.03–158.34———-21.69—-12.72
2017-18 —-103.00–110.77——–18.58—-27.70
2018-19—-85.00–56.79———-43.25—-25.55
2019-20—-91.14–89.69———-113.70—-48.47
2020-21—-100.00–101.00———-03.98—-31.961
2021-20—-100.00–58.49———-04.76—-09.86

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