इस पवित्र माह में रवि पुष्य का आना और अधिक फलदायी होगा। पंडितों का कहना है कि इस तरह के संयोग काफी कम बनते हैं। इस संयोग में सभी प्रकार की खरीदारी करना शुभकारी होगा। पंडितों का कहना है कि अधिकमास में विवाह आदि मांगलिक कार्य नहीं होते हैं, लेकिन खरीदारी करने पर कोई बाधा नहीं होती। पं. विष्णु राजौरिया के अनुसार अधिकमास को पुरुषोत्तम मास भी कहते हैं। यह तीन साल बाद आता है। यह एक पवित्र माह है और इसका धार्मिक महत्व है। इस माह में सूर्य की संक्रांति नहीं होती, इसलिए मांगलिक कार्य वर्जित माने गए हैं।
सभी प्रकार की खरीदारी के लिए शुभ
ज्योतिषाचार्य अंजना गुप्ता के अनुसार पुष्य को नक्षत्रों का राजा माना गया है। जब भी पुष्य नक्षत्र रविवार और गुरुवार को आता है, इसका महत्व बढ़ जाता है। ऐसे में रवि पुष्य और गुरु पुष्य का संयोग बनता है। यह संयोग खरीदारी के लिए काफी शुभ माना गया है। इसमें भूमि, भवन, वाहन, आभूषण, रत्न सहित सभी प्रकार की खरीदारी करना विशेष शुभ है। माना जाता है कि रवि पुष्य और गुरु पुष्य में की गई खरीदारी स्थायित्व प्रदान करती है। इस माह में जप, अनुष्ठान, दान, पवित्र नदियों में स्नान का विशेष महत्व है। रवि पुष्य का संयोग बनने से इसका महत्व और बढ़ गया है।
निराकार ईश्वर ने 23 बार साकार स्वरूप धारण किया
आतंक से जब धरती थर्राती है, गाय बिलखती है और धर्म संकट में होता है, तब हर कल्प में प्रभु श्री राम का प्राकट्य होता है। ये विचार अमराई गेहूं खेड़ा में रामकथा महोत्सव के चौथे दिन महाराज वैभव भटेले ने व्यक्त किए। राम जन्मोत्सव की कथा सुनाते हुए महाराज वैभव भटेले ने कहा कि मनुष्य के हृदय में आनंद का अनुभव ही प्रभु श्री राम का प्राकट्य है। राम केवल रावण को मारने के लिए इस धरती पर नहीं आते बल्कि हर हृदय में सत्यरुपी धर्म की स्थापना करने के लिए प्रकट होते हैं। भारत ही एक ऐसा देश है, जहां की पावन भूमि पर पौराणिक इतिहास के अनुसार अब तक निराकार ईश्वर ने 23 बार साकार स्वरूप धारण किया है। इनका उद्देश्य सनातन धर्म की जड़ों को गहरे तक मजबूती प्रदान करने का ही रहा है।