लहारपुर डैम की योजना काफी पहले रद्द की जा चुकी है। डैम में लगाने के लिए करीब दस करोड़ रुपए से खरीदे गए लोहे के गेट भी जर्जर हो गए। संबंधित एजेंसियों ने लिखित में दिया है कि अब डैम की योजना नहीं है। ऐसे में नए ड्राफ्ट में यहां की जमीनों को डूब से बाहर करना था, लेकिन ऐसा नहीं करते हुए, पुराने मास्टर प्लान के आधार पर इसे बने रहने दिया गया।
– एम्स से बरखेड़ा वाली रोड लहारपुर जाने वाली सड़क किनारे का क्षेत्र डूब क्षेत्र तय किया गया।
– अमरावतखुर्द, लहारपुर, बाग मुगलिया, बाग सेवनियां, बरखेड़ा पठानी, पिपनियां पेंदे खां गांव की 700 एकड़ जमीन है।
– इसमें 300 किसान प्रभावित हो रहे हैं।
– किसानों की जमीन अधिग्रहण नहीं की, डेम भी नहीं बना और लैंडयूज डूब हटाना चाहिए था, लेकिन ऐसा नहीं किया गया।
– किसानों ने इसके लिए केंद्र व राज्य के साथ ही संबंधित एजेंसियों को दस्तावेज जमा किए, स्वीकारा कि प्रोजेक्ट समाप्त हो गया है।
डैम की योजना जब रद्द हो चुकी है तो जमीनों को भी डूब लैंडयूज से बाहर करना चाहिए। हमने मास्टर प्लान सुनवाई में आपत्ति भी की है। 35 साल से संघर्ष किया जा रहा है।
– महेंद्रसिंह परिहार, लहारपुर