पता नहीं मैं कितना पॉपुलर हूं कुणाल ने कहा कि पता नहीं मैं कितना पॉपुलर हूं, लेकिन मैं अपने दिल-दिमाग में केवल एक बात याद रखता हूं। वह यह कि जो भी काम करूं, उसे पूरे प्यार और समर्पण के साथ करूं। इस इंडस्ट्री में 15 साल से भी ज्यादा समय से हूं और अपने करियर में संतुष्ट हूं। पीछे देखता हूं तो कई सफलताएं-विफलताएं नजर आती हैं। मैंने कुछ अच्छे फैसले लिए तो कई बेवकूफियां भी कीं। 15 साल पहले जब मैंने इस इंडस्ट्री में कदम रखा था, इसे बहुत अच्छा करियर नहीं समझा जाता था। अक्सर कहा जाता था कि पढ़ाई कर लो वर्ना हलवाई बनोगे…। सच कहूं तो मैं यहां इसलिए आया क्योंकि मैं गणित में कमजोर था। गणित से ऊबकर किचन में जाता था तो वहां मुझे प्रयोग करने की आजादी मिलती थी। मेरे भीतर बैठा शर्मीला लडका खाना बनाते समय बहुत बोल्ड हो जाता था।
खाना रचनात्मकता दिखाने का जरिया
खाना मेरे लिए अपनी रचनात्मकता को दिखाने का एकमात्र जरिया था। मेरी हिचक मेरे खाने में नजर नहीं आती थी। मैंने ताज होटल में ट्रेनी पद से शुरुआत की। मैं मानता हूं कि तब मैं अच्छा शेफ ट्रेनी नहीं था लेकिन मैं हमेशा से बेहतर लर्नर रहा हूं। कुकिंग को करीब से जानने-समझने में मुझे काफी वक्त लगा। शुरुआत के लगभग छह साल मैं केवल सिर झुका कर मास्टर्स से इस ट्रेड को समझने की कोशिश करता रहा।
महज 19 साल की उम्र में 15-16 घंटे लगातार काम करना बहुत मुश्किल था, लेकिन मेरे पास कुछ और करने को था ही नहीं, इसलिए मैंने पीछे मुडकर नहीं देखा। बतौर शेफ आठ साल बिताने के बाद मुझे चार बार बेस्ट रेस्तरां अवॉर्ड मिला। लीला, गुडगांव में मिला बेस्ट इंडियन रेस्तरां अवॉर्ड मेरे करियर क टर्निंग पॉइंट था। इसके बाद मुझे मास्टरशेफ इंडिया शो को होस्ट करने का निमंत्रण मिला। टीवी में मुझे नाम-शोहरत दोनों मिले। यहां काम करने के बाद भीड के बीच होने वाला भय भी कम हुआ।