नाटक में दिखाया गया कि एक बुजुर्ग हमेशा खुश रहने के लिए कुछ भी करता है। उसकी बेटी विनी अपने घरवालों से बहुत प्यार करती है, लेकिन उसे यह भी पता है कि जो भी उसके घर वाले करते हैं वह बाकि दुनिया की नजर में पागलपन के सिवा कुछ भी नहीं है। वह आशुतोष नाम के एक लड़के से प्यार करती है। आशुतोष के पिता और मां को यह समझा पाना उसे बहुत मुश्किल लगता है कि उसके परिवार के लोग नॉर्मल हैं और बाकि दुनिया से अलग नहीं हैं। ऐसे में नाटक में कुछ ऐसे घटनाक्रम भी बनते हैं कि पहली बार दोनों परिवारों का आमना-सामना बड़ी नाटकीय स्थिति में होता है और आशुतोष के पिता संजय सिंघानिया और उनकी पत्नी पूजा सिंघानिया को लगता है कि विनी के परिवार के लोग नॉर्मल नहीं है। आम दुनिया से बिल्कुल अलग हैं। इसलिए इस घर में बेटे का रिश्ता नहीं हो सकता। नाटक के अंत में विनी और आशुतोष का रिश्ता तय हो जाता है।