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भोपाल

आबकारी नीति पर आमने-सामने हुए कमलनाथ के मंत्री

– कुछ ने कहा- अभी माफिया के पास जाता है पैसा

भोपालFeb 20, 2020 / 12:03 am

anil chaudhary

kamalnath news

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भोपाल. खराब माली हालत से जूझ रही मध्यप्रदेश सरकार खजाना भरने के रास्ते तलाश रही है। इसी के तहत प्रदेश में नई आबकारी नीति लाने की तैयारी है, ताकि सरकार को ज्यादा राजस्व मिल सके। सरकार को लग रहा है कि अभी छोटे-छोटे ठेके होने के कारण ठेकेदार अपना मार्जिन कम करके शराब बेच रहे हैं। इससे उनके प्रतिस्पर्धा बढ़ गई है। नतीजतन सरकार को राजस्व कम मिल रहा है। इससे निपटने के लिए सरकार क्लस्टर बनाने की योजना पर काम कर रही है। इसके लिए आबकारी नीति में बदलाव करना जरूरी होगा। इस नई आबकारी नीति पर बुधवार को मुख्यमंत्री कमलनाथ की अध्यक्षता में हुई ( kamalnath cabinet ) कैबिनेट बैठक में चर्चा हुई।
बैठक में कमलनाथ के मंत्री दो खेमों में बंटे हुए दिखे। कुछ मंत्रियों ने शराब की उप दुकान खोलने पर ऐतराज किया तो कुछ ने इसे सही ठहराया। जहां स्थिति बिगड़ती दिखी वहां मुख्यमंत्री कमलनाथ ने हस्तक्षेप कर मामला सुलझाया। अभी इसका प्रस्ताव मंजूर हुआ है। इसके बिंदुओं पर अध्ययन किया जाएगा। इसके बाद ही बिंदु तय करके जारी होंगे। यह बिंदु मिनिट्स के रूप में वापस मुख्यमंत्री के पास मंजूरी के लिए जाएंगे। बैठक के बाद जनसम्पर्क मंत्री पीसी शर्मा ने भी मीडिया से कहा कि आबकारी नीति अभी जारी नहीं की गई है।

– मुख्यमंत्री और मंत्रियों के बीच ऐसे हुई बात
खाद्य मंत्री प्रद्युम्न सिंह तोमर : आपको हमारी बात अच्छी लगे या खराब, पर इतना सुन लीजिए कि नई दुकानें खोली गईं तो सरकार की बदनामी होगी। विपक्ष को मुद्दा देने का कोई मतलब नहीं है।
मुख्यमंत्री : यह सही बात कह रहे हैं। नई नीति में राजस्व भी 10 हजार करोड़ से केवल 11500 करोड़ हो रहा है। इस कारण इतने राजस्व के लिए कोई नई दुकान नहीं खोली जाएगी।
आदिम जाति कल्याण मंत्री ओंकार सिंह मरकाम : नई दुकानें नहीं खोली जानी चाहिए। इसके अलावा आदिवासी इलाकों में महुए से कच्ची शराब बनती है, तो महुआ रखने की सीमा तय है। पुलिस उन पर कार्रवाई और वसूली करती है।
मुख्यमंत्री : यह कार्रवाई निजी शराब ठेकेदार कराते हैं, ताकि उनकी शराब बिके। इस पर रोक लगना चाहिए।
मंत्री डॉ. गोविंद सिंह और तरुण भनोत : शराब की नई दुकानें नहीं, केवल उप दुकानें खोली जाना हैं।
वाणिज्य कर मंत्री बृजेंद्र सिंह राठौर : उप दुकान खोली जाएंगी, जो केवल पहले से लाइसेंसधारी को ही मिलेंगी। एक अन्य मंत्री ने कहा कि अभी शराब का पैसा माफिया के पास जा रहा है, नई नीति में यह राजस्व के रूप में सरकार के पास आएगा।
खनिज मंत्री प्रदीप जायसवाल : जिलास्तर पर शराब की दुकानों का क्लस्टर बनाना चाहिए। एक जिले में दो से तीन क्लस्टर बनें। इस पर अन्य मंत्रियों ने कहा कि इससे तो शराब ठेकेदारों की मोनोपॉली हो जाएगी। जायसवाल बोले- छोटे कारोबारियों को बाहर करना ठीक नहीं है। प्रस्तावित नीति के हिसाब से क्लस्टर बनाने से जरूरी नहीं कि एक बार में पूरी दुकानें चली जाएं। कोई ठेका ले लें तो भी उसे फायदा हो ये जरूरी नहीं है, इसलिए लोग इस नीति को फेल करा देंगे। इससे शराब की स्मगलिंग बढ़ेगी।
मुख्यमंत्री ने कहा कि अभी 1200 कारोबारी हैं। नई नीति में 350 से 400 ही रह जाएंगे। अभी नीति के प्रस्ताव को मंजूर कर देते है।

– सिंघार-बघेल में एक फाइल पर तकरार
ओंकारेश्वर के फॉरेस्ट प्रोजेक्ट की एक फाइल को लेकर वन मंत्री उमंग सिंघार और एनवीडीए मंत्री सुरेंद्र सिंह बघेल में तकरार की स्थिति बन गई। प्रोजेक्ट का प्रस्ताव आया, तो उमंग ने कहा कि इससे संबंधित प्रस्ताव में वित्त और एनवीडीए की मंजूरी अभी नहीं आई है। इसकी फाइल दो महीने से एनवीडीए मंत्री को भेजी है, पर मंजूरी नहीं दी। इस पर बघेल ने कहा कि अभी मेरे पास फाइल नहीं आई है। सिंघार ने कहा कि दो महीने में आपके पास फाइल ही नहीं आई, तो बघेल ने कहा कि हां नहीं आई, आती तो मंजूरी दे देता। इस पर सिंघार ने फिर नाराजगी जाहिर की, तो मुख्यमंत्री ने कहा कि कोई बात नहीं, एनवीडीए से मंजूरी मिल जाएगी। अगली बार यह प्रस्ताव ले आना। गौरतलब है कि दोनों मंत्री अलग-अलग राजनीति खेमों से हैं, जिसके चलते तल्खी की स्थिति बनी।

– सिंगरौली हवाई पट्टी में एक दिन भी ज्यादा न लगे
सिंगरौली हवाई पट्टी के विकास का मुद्दा आया, तो सीएम ने कहा कि इस काम की डेडलाइन बताओ। इस पर अफसरों ने कहा कि अभी तय नहीं है। सीएम ने कहा कि ये काम अक्टूबर तक पूरा करो, इस पर प्रमुख सचिव अनिरुद्ध मुखर्जी ने कहा कि दिसंबर 2020 तक का समय लगेगा। इस पर सीएम ने कहा – 31 दिसंबर से एक दिन भी ज्यादा नहीं लगना चाहिए। प्रस्ताव के साथ केंद्र व राज्य के अंशदान का पूरा ब्रेकअप भी दिया गया।

– मंत्रियों को जिम्मेदारी, अपना क्षेत्र संभाले
मुख्यमंत्री ने अनौपचारिक कैबिनेट में मंत्रियों से दो टूक कहा कि सरकारी योजनाओं के प्रचार-प्रसार को लेकर मैदानी काम करें। अभी सरकारी योजनाओं का प्रचार नहीं हो रहा है। हर मंत्री अपने क्षेत्र और प्रभार वाले जिलों में समय दें। किसान कर्जमाफी से लेकर अन्य योजनाओं को लेकर जनता के बीच जाए।

 

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