भोपाल

परिवहन मंत्री के ओएसडी ने किया बड़ा खेल, मुश्किल में आए सिंधिया के मंत्री

BHOPAL NEWS- मध्यप्रदेश के परिवहन मंत्री गोविंद सिंह राजपूत का स्टाफ जांच के दायरे में आ गया है। उनके ओएसडी और एक बाबू ने मिलकर एक दागी अफसर को नियम विरुद्ध बहाल करवा दिया। इसके लिए दोनों ने जो चालें चलीं वो हैरान करने वाली हैं। पेश है एक रिपोर्ट…।

भोपालSep 12, 2019 / 12:43 pm

Manish Gite

 

भोपाल। मध्यप्रदेश के परिवहन मंत्री गोविंद सिंह राजपूत का स्टाफ जांच के दायरे में आ गया है। उनके ओएसडी ( osd ) और एक बाबू ने मिलकर एक दागी अफसर को नियम विरुद्ध बहाल करवा दिया। इसके लिए दोनों ने जो चालें चलीं वो हैरान करने वाली हैं। पेश है एक रिपोर्ट…।

मध्यप्रदेश के परिवहन विभाग में भी फिलहाल कुछ ठीकठाक नहीं है। विभाग के ही उप सचिव ने परिवहन मंत्री ( Transport Minister ) के ही स्टाफ को कटघरे में खड़ा कर दिया है। उन्होंने मंत्रीजी के स्टाफ में पदस्थ ओएसडी कमल नागर ( kamal nagar ) और कर्मचारी आइएस मीना के खिलाफ जांच के लिए प्रमुख सचिव कार्मिक को लिखा है। दोनों पर आरोप है कि उन्होंने एक दागी अफसर केपी अग्निहोत्री ( KP Agvihotri ) को बहाल कराने के लिए सरकार को गुमराह किया। खुलासा होने के बाद से विभाग में हड़कंप मचा हुआ है।

 

मंत्री के स्टाफ ने की गड़बड़ी, अब जांच में फंसे
निलंबित परिवहन निरीक्षक अग्निहोत्री को बचाने के लिए दोनों ने 26 दिसंबर 2018 को तथ्यों को छिपाते हुए नोटशीट लिखी। इसमें उल्लेख नहीं किया कि अग्निहोत्री के खिलाफ विभागीय जांच पहले से चल रही है। उस दौरान विभाग के सहायक ग्रेड रहे मीना ने तथ्यों को छिपाते हुए नोटशीट लिखी और तत्कालीन उप सचिव कमल नागर ने बिना परीक्षण लिए उच्च स्तर से अनुमोदन भी ले लिया। अब ये दोनों अधिकारी परिवहन मंत्री के निजी स्टाफ में पदस्थ हैं।

निलंबित परिवहन निरीक्षक अग्निहोत्री वर्ष 2012 से फरार हैं। बहाल होने के बावजूद उन्होंने अब तक विभाग में अपनी ज्वाइनिंग नहीं दी है। अग्निहोत्री पर एक महिला ने नौकरी दिलाने के नाम पर जोर जबरदस्ती करने का मामला भी दर्ज कराया था।

 

IMAGE CREDIT: BHOPAL

दोनों की शिकायत मिली
परिवहन आयुक्त शैलेंद्र श्रीवास्तव के मुताबिक छानबीन समिति से मुझे हटाने का मामला हाल ही में जानकारी में आया है। मंत्री स्टाफ में पदस्थ नागर और मीना के खिलाफ भी शिकायत मिली है, उसकी जांच चल रही है। इससे ज्यादा में आपको कुछ नहीं बता सकता।

 

मेरा पक्ष नहीं सुना
तत्कालीन उप सचिव एवं परिवहन मंत्री के ओएसडी कमल नागर कहते हैं कि विभाग के डिप्टी सेक्रेटरी ने क्या टीप लिखी, मुझे इस बारे में कोई जानकारी नहीं है। यदि कोई मामला था तो मेरा पक्ष भी सुनना चाहिए था। मेरा पक्ष सुने बिना एक तरफा कार्रवाई करना न्यायोचित नहीं है।

 

परेशान कर रहे हैं अधिकारी
परिवहन निरीक्षक केपी अग्निहोत्री ने मीडिया को बताया कि वेतन के लिए कई बार लिखा है, लेकिन नहीं दिया जा रहा है। विभाग के अधिकारी परेशान कर रहे हैं। मैं किसी बात को मुद्दा नहीं बनाना चाहतै।

 

बगैर बताए गायब हैं अग्निहोत्री
परिवहन विभाग के अधिकारी केपी अग्निहोत्री की मौजूदा पदस्थापना होशंगाबाद जिले में दो माह पहले हुई थी, लेकिन बगैर बताए वे गायब हो गए। अफसर के गायब होने की जब मुख्यमंत्री कमलनाथ से शिकायत हुई तो मामले का खुलासा हो गया। मामले में अब मंत्रालय की ओर से जांच की जा रही है।

इसकी पुष्टि होशंगाबाद के क्षेत्रीय परिवहन अधिकारी मनोज तेनगुरिया ने भी की है। उन्होंने मीडिया को बताया कि दो माह पहले होशंगाबाद में उनकी पदस्थापना हुई थी। लेकिन, वे यहां कभी नहीं आए। उनके निवास पर भी नोटिस चस्पा कर दिया गया था। उनकी तलाश की जा रही है। इस बारे में मुख्यालय को भी सूचना दी दी गई है।

 

कौन है केपी अग्निहोत्री
-यह तत्कालीन प्रभारी जिला परिवहन अधिकारी है।
-परिवहन विभाग से लोकायुक्त, मुख्य सचिव और विभाग में दर्ज शिकायतों के कारण यह निलंबन पर चल रहे हैं।
-ईओडब्ल्यू जबलपुर ने अफसर के खिलाफ तीन प्रकरण दर्ज किए हैं।
-केपी अग्निहोत्री अपने पूरे सेवाकाल में पांच बार सस्पेंड हो चुके हैं। इसमें अनुशासनहीनता, भ्रष्टाचार के मामले में चालान पेश होने संपत्ति की जानकारी नहीं देने, राजगढ़ में हुई बस दुर्घटना समेत नौकरी से लगातार बगैर बताए लंबे समय तक गायब रहने के मामले शामिल हैं। उनके खिलाफ कई विभागीय जांच भी लंबित है।
-केपी अग्निहोत्री पर एक महिला छेड़छाड़ का आरोप लगा चुकी है। इसी मामले में कोर्ट ने वारंट जारी किया था।

एक नजर
-दोनों अधिकारियों ने तथ्यों को छुपाकर नोटशीट बनाई, जिसमें विभागीय जांच स्थगित होने और बिना काम 75 प्रतिशत वेतन का भुगतान करने तक की टीप लिख दी। जबकि अग्निहोत्री ने 2012 से वेतन नहीं लिया।
-सामान्य प्रशासन विभाग के नियमों को दरकिनार कर इस मामले की छानबीन कमेटी से परिवहन आयुक्त को ही बाहर करवा दिया।

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