2017 में भोपाल में 22.2 फीसदी तक कॉल ड्रॉप का आंकड़ा सामने आया था। गौरतलब है कि मोबाइल टॉवर से जुड़े कनेक्शन की संख्या उसकी बेंडविड्थ से अधिक होने पर कॉल ड्रॉप की स्थिति बन जाती है। ट्राई के सचिव एसके गुप्ता का कहना है कि टेस्ट ड्राइव से स्थिति सामने आ रही है और इसमें सुधार के लिए लगातार प्रयास कराए जा रहे हैं।
अब भी ऐसे कॉल ड्रॉप
– डीआइजी बंगला निवासी मोहम्मद फराज के घर के आसपास मोबाइल नेटवर्क बेहद कमजोर है। कॉल कई बार कट जाता है, वे कंपनी को इसकी शिकायत भी कर चुके हैं।
– कोलार के नर्मदा नगर निवासी सुरेश श्रीवास्तव को घर में नेटवर्क नहीं मिलता। कॉल लगते ही नेटवर्क गायब हो जाता है। जबकि उनके मोहल्ले में दो नए मोबाइल टावर लग चुके हैं।
– नेहरू नगर निवासी राजीव विजयवर्गीय की भी यही समस्या है। कई बार घर से मोबाइल पर बात करते हुए अचानक मंदिर के पास जाते ही कॉल कट जाता है। कई बार शिकायत कर चुके हैं।
स्मार्ट पोल के 100 नए टावर जल्द होंगे शुरू
शहर में 400 स्मार्ट पोल में से 100 को ब्रॉड बेंड्स से जोड़ा गया है ताकि ये मोबाइल टावर के तौर पर काम करें।कुछ ने काम शुरू कर दिया है। इससे पहले बड़ी टेलिकॉम कंपनी ने बल्क में टावर लगाए थे, जिससे शहर में इनकी संख्या बढ़ गई।
सुल्तानिया जनाना अस्पताल जैसे बेहद संवेदनशील भवन पर भी मोबाइल टावर खड़े किए गए। इनकी अनुमति तक अस्पताल प्रबंधन के पास नहीं थी। इस टावर को हटाने एक्टिविस्ट प्रदीप खंडेलवाल ने लंबी लड़ाई लड़ी।
और यहां सिर्फ पत्राचार ही
राजहर्ष कॉलोनी के एक मकान पर लगाए जा रहे टावर का काम रोकने रहवासियों ने निगम की भवन अनुज्ञा शाखा को शिकायत की। जांच में इसे अवैध पाया गया। बजाय टावर हटाने के भवन अनुज्ञा के इंजीनियर लालजी चौहान ने कंपनी को पत्र लिखकर जिम्मेदारी पूरी कर दी।