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भोपाल

5 साल में चार गुना हो गए मोबाइल टावर, नेटवर्क तो नहीं सुधरा, रेडिएशन बढ़ गया

टेलिकॉम कंपनियों ने कॉल ड्रॉप के नाम पर की गड़बड़ी, ट्राइ ने टेस्ट ड्राइव में पाया कि तय मानक दो फीसदी से अधिक कॉल ड्रॉप की स्थिति है

भोपालOct 11, 2018 / 01:25 am

Bharat pandey

mobile tower radiation

Mobile tower fourfold in 5 years

भोपाल। राजधानी भोपाल में बीते सालों में मोबाइल टावर तानने का गोरखधंधा खूब हुआ। इसी का नतीजा रहा कि पांच साल में शहर में टावरों की संख्या चार गुना तक हो गई है। रहवासियों के सिर पर रेडिएशन का खतरा बढ़ा ,लेकिन उन्हें कॉल ड्रॉप से राहत नहीं मिली। यह उपभोक्ताओं के अधिकारों का हनन भी है, लेकिन जिम्मेदार अफसर ध्यान देने को तैयार नहीं। हाल ही में राजधानी में खुद टेलिकॉम रेग्युलरेटी अथॉरिटी ऑफ इंडिया (ट्राइ) ने एक टेस्ट ड्राइव की यहां तय मानक दो फीसदी से अधिक कॉल ड्रॉप की स्थिति मिली।

2017 में भोपाल में 22.2 फीसदी तक कॉल ड्रॉप का आंकड़ा सामने आया था। गौरतलब है कि मोबाइल टॉवर से जुड़े कनेक्शन की संख्या उसकी बेंडविड्थ से अधिक होने पर कॉल ड्रॉप की स्थिति बन जाती है। ट्राई के सचिव एसके गुप्ता का कहना है कि टेस्ट ड्राइव से स्थिति सामने आ रही है और इसमें सुधार के लिए लगातार प्रयास कराए जा रहे हैं।

अब भी ऐसे कॉल ड्रॉप
– डीआइजी बंगला निवासी मोहम्मद फराज के घर के आसपास मोबाइल नेटवर्क बेहद कमजोर है। कॉल कई बार कट जाता है, वे कंपनी को इसकी शिकायत भी कर चुके हैं।
– कोलार के नर्मदा नगर निवासी सुरेश श्रीवास्तव को घर में नेटवर्क नहीं मिलता। कॉल लगते ही नेटवर्क गायब हो जाता है। जबकि उनके मोहल्ले में दो नए मोबाइल टावर लग चुके हैं।
– नेहरू नगर निवासी राजीव विजयवर्गीय की भी यही समस्या है। कई बार घर से मोबाइल पर बात करते हुए अचानक मंदिर के पास जाते ही कॉल कट जाता है। कई बार शिकायत कर चुके हैं।

स्मार्ट पोल के 100 नए टावर जल्द होंगे शुरू
शहर में 400 स्मार्ट पोल में से 100 को ब्रॉड बेंड्स से जोड़ा गया है ताकि ये मोबाइल टावर के तौर पर काम करें।कुछ ने काम शुरू कर दिया है। इससे पहले बड़ी टेलिकॉम कंपनी ने बल्क में टावर लगाए थे, जिससे शहर में इनकी संख्या बढ़ गई।

अस्पताल पर भी लगा दिए टावर
सुल्तानिया जनाना अस्पताल जैसे बेहद संवेदनशील भवन पर भी मोबाइल टावर खड़े किए गए। इनकी अनुमति तक अस्पताल प्रबंधन के पास नहीं थी। इस टावर को हटाने एक्टिविस्ट प्रदीप खंडेलवाल ने लंबी लड़ाई लड़ी।

और यहां सिर्फ पत्राचार ही
राजहर्ष कॉलोनी के एक मकान पर लगाए जा रहे टावर का काम रोकने रहवासियों ने निगम की भवन अनुज्ञा शाखा को शिकायत की। जांच में इसे अवैध पाया गया। बजाय टावर हटाने के भवन अनुज्ञा के इंजीनियर लालजी चौहान ने कंपनी को पत्र लिखकर जिम्मेदारी पूरी कर दी।

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