रूसा इस बात का सर्वे करेगा कि इन जिलों में वर्तमान में नए कालेजों की जरूरत है अथवा नहीं। जिले में कालेज बनाने के लिए पांच एकड़ या उससे अधिक शासकीय उपलब्ध है अथवा नहीं। इन जिलों के छात्र-छात्राएं पढऩे के लिए वर्तमान में कहां जा रहे हैं, स्कूल की पढ़ाई पूरी करने के बाद कितने बच्चे कालजों तक नहीं पहुंच पा रहे हैं।
मॉडल कालेज बनाने के प्रस्ताव के साथ ही यह रिपोर्ट केन्द्र सरकार के पास भेजा जाएगा। शिक्षा सत्र शुरू करने से पहले इन कालेजों में प्राध्यपक, लाइब्रेरियान, प्रयोगशाला और सहायक स्टाफ की नियुक्ति सरकार को करना होगा। जिससे इन जिलों में शिक्षा के स्तर को पूरी तरह से सुधारा लाया जा सके।
अन्य सुविधाएं भी लोगों को बेहतर
आकांक्षी जिलों में शिक्षा के साथ ही चिकित्सा, सड़क बिजली, पानी सहित अन्य बेहतर सुविधाएं लोगों को मुहैया कराने पर जोर दिया जा रहा है। इसके साथ ही केन्द्र सरकार की पहली प्रथमिकता रोजगार है। इन जिलों में रोजगार, उद्योग लगाने के लिए विशेष प्रयास किए जा रहे हैं। युवाओं को रोजगार से जोडऩे और उन्हें बैंकों से आसान ऋण दिलाने के लिए भी उद्योग विभाग प्रयास कर रहा है। वहीं महिला एवं बाल विकास विभाग इन जिलों में कुपोषण दूर करने के लिए विशेष अभियान चला रहा है।
मोदी ये पिछड़े आठ जिले
नीति आयोग द्वारा जारी देश के 101 पिछड़े जिलों में मप्र के 8 जिले शामिल हैं। इसमें सिंगरौली, बड़वानी, खंडवा, विदिशा, गुना, राजगढ़, छतरपुर, दमोह जिले को इस श्रेणी में शामिल किया गया है। इन जिलों को पिछड़ेपन से अगड़े जिलों में लाने के लिए केन्द्र और राज्य विशेष प्रयास कर रहे हैं। इन जिलों में केन्द्र सरकार और नीति आयोग सीधे मानीटरिंग कर रहा है। ये जिले अगल-अलग क्षेत्रों में पिछड़े की श्रेणी हैं, लेकिन इन सभी जिलों में शिक्षा और स्वास्थ्य की स्थिति खराब है।