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भोपाल

जमीनों के विवाद के चलते 74 हजार से ज्यादा गरीबों के मकान अटके

प्रदेश में डेढ़ लाख मकान बनाने थे, बने मात्र 12 हजार मकानविभाग ने निकायों को दिए तीन माह का समय

भोपालJul 26, 2019 / 07:29 am

Ashok gautam

patrika

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भोपाल. जमीनी विवाद के चलते प्रदेश में 74 हजार से अधिक गरीबों के आवास के निर्माण का काम अटका हुआ है।

नगरीय निकाय अब जमीनी विवादों को सुझलाने के लिए कलेक्टर स्तर से प्रयास कर रही हैं, क्योंकि सबसे ज्यादा विवाद राजस्व और निजी भूमि को लेकर आ रहा है। नगरीय प्रशासन एवं विकास विभाग ने नगरीय निकायों को इसके निराकरण के लिए मात्र तीन माह का समय दिया है। प्रदेश में नगरीय निकायों को अफोर्डेबल हाउसिंग पार्टनरशिप स्कीम के तहत गरीबों के लिए डेढ़ लाख मकान बनाना था। जमीन की उपलब्धता के चलते अभी तक मात्र 12 हजार मकान ही बनाए गए हैं।

निकायों में अभी ६४ हजार मकानों के निर्माण का काम चल रहे हैं, जो एक साल में पूरे होंगे। निकायों को जमीन विवाद, पर्यावरण, रेरा और टीएनसीपी की अनुमति नहीं मिलने के चलते करीब 74 हजार मकानों के निर्माण काम अटके हुए हैं।

मकानों के लिए हितग्राही नगरीय निकायों के चक्कर काट रहे हैं, क्योंकि हितग्राहियों का चयन एक साल पहले कर लिया गया था।नगरीय प्रशासन एवं विकास विभाग ने निकायों को जमीनी विवाद जल्दी सुलझाने के लिए कहा है। विभाग ने उन्हें यह भी कहा है कि जो जमीन चिंहित की गई हैं, उसका विवाद अगर नहीं सुलझ पा रहा है तो दूसरी जमीन तलाश करें।

यहां की कार्रवाई

नगरीय प्रशासन एवं विकास विभाग ने जबलपुर, उज्जैन, सिवनी सहित अन्य नगरीय निकायों में गरीबों के आवास बनाने में देरी करने वाले ठेकेदार, कंसल्टेंट सहित अन्य जिम्मेदार एजेंसियों पर कार्रवाई की है। जबलपुर में गरीबों के आवास में देरी करने वाले कंसल्टेंड को हटा दिया है। वहीं उज्जैन आवास बनाने वाले ठेकेदार का ठेका निरस्त कर दिया है तथा सिवनी जिले में ठेका निरस्त कर दोबारा टेंडर जारी करने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है।

शहर से दूर नहीं जा रहे हितग्राही

भोपाल सहित कई शहरों में हितग्राहियों के लिए शहर से दूर बनाए गए आवासों में वे जाने के लिए तैयार नहीं हो रहे हैं। इस तरह से प्रदेश में करीब 4 हजार आवास बनने के एक साल बाद भी खाली पड़े हुए हैं। भोपाल में ही अकेले दो हजार मकान कोकता क्षेत्र में खाली हैं, यहां हितग्राहियों ने आवास लेने से मना कर दिया है। इसी तरह से ग्वालियर सहित अन्य जिलों के निकायों की भी स्थिति है।

निकाय —- बनना था आवास —- बने
भोपाल– 31 हजार————-3 हजार
इंदौर — 37 हजार————-5 हजार
ग्वालियर — 5 हजार————-3 हजार
जबलपुर — 21 हजार————-5 हजार

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