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भोपाल

एक साल में सरकारी स्कूलों में कम हुए डेढ़ लाख से ज्यादा छात्र

प्रायवेट स्कूलों में बढ़ गए पौने छह लाख
सरकारी शिक्षा को चाहिए संजीवनी

भोपालJul 06, 2021 / 04:31 pm

Arun Tiwari

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School Reopen: Some States Aannounced To Open Schools Amidst Covid Relief, Know Your State Update

भोपाल : कोरोना काल ने पूरी शिक्षा व्यवस्था को बेपटरी कर दिया है। सबसे ज्यादा खराब हालत में सरकारी स्कूल हैं। मध्यप्रदेश में सरकारी शिक्षा को संजीवनी की जरुरत है। सरकारी स्कूलों की दयनीय हालत के कारण प्रदेश में बच्चे प्रायवेट स्कूलों की ओर रुख कर रहे हैं। साल 2018-19 और 2019-20 के आंकड़े इसी तरफ इशारा कर रहे हैं। ये आंकड़े प्रदेश सरकार ने केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय को दिए हैं। इस एक साल में सरकारी स्कूलों से 1 लाख 65 हजार से ज्यादा छात्र बाहर जा चुके हैं। वहीं दूसरी तरफ प्रायवेट स्कूलों में 5 लाख 83 हजार से ज्यादा नए छात्रों ने एडमिशन लिया है। वहीं दूसरी तरफ 22 हजार से ज्यादा सरकारी स्कूल दूसरे स्कूलों में विलय के नाम पर बंद हो चुके हैं तो 2000 नए प्रायवेट स्कूल खुल गए हैं। सरकार सीएम राइज जैसा स्कूलों का नया मॉडल लाने की तैयारी जरुर कर रही है लेकिन इस योजना का जमीन पर उतरकर सफल होने में अभी वक्त लगेगा।

ये है सरकारी स्कूलों की स्थिति :
– 2018-19 में 1 लाख 22 हजार 56 स्कूल थे। इन स्कूलों में 92 लाख 85 हजार 196 छात्र थे। स्कूलों में शिक्षकों की संख्या 3 लाख 23 हजार 475 थी।
– 2019-20 में 22645 स्कूल कम हो गए और स्कूलों की संख्या 99 हजार 411 बची । वहीं 1 लाख 65 हजार 843 छात्र भी कम हो गए। छात्रों की संख्या घटकर 91 लाख 19 हजार 353 हो गई। शिक्षकों की संख्या भी घटकर 3 लाख 12 हजार 306 रह गई।

ये है प्रायवेट स्कूलों की स्थिति :
– 2018-19 में 29182 स्कूल थे। इन स्कूलों में 67 लाख 4 हजार 433 छात्र थे। स्कूलों में शिक्षकों की संख्या 2 लाख 44 हजार 502 थी।
– 2019-20 में 2000 स्कूल बढ़ गए और स्कूलों की संख्या बढकऱ 31201 हो गई। वहीं छात्रों की संख्या 5 लाख 83 हजार 633 का इजाफा हो गया। छात्रों की संख्या बढकऱ 72 लाख 88 हजार 66 हो गई। शिक्षकों की संख्या भी 40 हजार बढकऱ 2 लाख 84 हजार 594 हो गई।

शिक्षा व्यवस्था सुधारने ये हैं सरकार की कोशिशें :
– 9200 सीएम राइज स्कूल खोले जाएंगे जिनमें विश्व स्तरीय सुविधाएं देने का दावा किया जा रहा है। प्रायवेट स्कूलों की तर्ज पर नर्सरी और केजी की कक्षाएं होंगी। हर छात्र के लिए परिवहन की व्यवस्था रहेगी।
– एक विद्यालय-एक परिसर योजना में कई स्कूलों को आस-पास के स्कूलों में मर्ज कर दिया गया।
– दक्षिण कोरियाई मॉडल लागू करने की तैयारी।
– शिक्षकों की कमी दूर कर गुणवत्तापूर्ण शिक्षा देने की तैयारी।
– छटवीं से छात्रों को व्यवसायिक शिक्षा से जोडऩे की कोशिश।

सरकार के प्रयास नाकाफी :
शिक्षा के अधिकार के लिए काम कर रहे सामाजिक कार्यकर्ता सचिन जैन कहते हैँ कि सरकारी स्कूलों की दशा सुधारने के लिए सरकार के प्रयास नाकाफी हैं। सरकार मिड डे मील, यूनिफॉर्म, किताबें, इन्फ्रास्ट्रक्चर जैसी बुनियादी जरुरतों से ही आगे नहीं बढ़ पा रही है। स्कूलों को आपस में मर्ज कर बेहतर शिक्षा की जगह कमजोर तबके के छात्रों को शिक्षा से दूर कर दिया है। सरकार को जरुरत है इस बारे में ठोस कदम उठाने की ताकि छात्र प्रायवेट की स्कूलों की ओर रुख न कर सरकारी स्कूलों में एडमिशन लें।

हम मानते हैँ कि सरकारी स्कूलों की स्थिति अच्छी नहीं है। गुणवत्तापूर्ण शिक्षा न मिलने के कारण छात्रों का ड्रापआउट रेट बहुत ज्यादा है। लेकिन हम नई योजनाओं पर काम कर रहे हैं। सीएम राइज जैसे मॉडल स्कूल बच्चों को निजी स्कूलों से बेहतर शिक्षा देंगे।
– इंदर सिंह परमार स्कूल शिक्षा मंत्री –

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