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भोपाल

37 जेलों के हर कैदी की तैयार हुई इलेक्ट्रॉनिक कुंडली, बाकी जेल में शुरु होगा काम

कैदियों से मिलने वालों का भी डाटा हुआ ऑनलाइन, 9 बिंदुओं पर रखा जा रहा रिकॉर्ड

भोपालFeb 06, 2020 / 09:57 am

Radhyshyam dangi

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राधेश्याम दांगी, भोपाल। मप्र की 37 जेलों के हजारों कैदियों का आपराधिक रिकॉर्ड से लेकर उससे मिलने वालों तक का रिकॉर्ड इलेक्ट्रॉनिक रिकॉर्ड के रुप में तैयार हो गया है। सभी 11 केंद्रीय जेल और 23 बड़ी व संवेदनशील जिला जेलों के साथ महू, डबरा व अंबाह की 3 उप जेलों के कैदियों का रिकॉर्ड भी इसमें शामिल है। जेल एवं सुधारात्मक सेवाएं विभाग ने 37 जेलों के दोषसिद्ध अपराधियों अंडर ट्रायल आरोपियों और डिटेन किए गए कैदियों का हर तरह का रिकॉर्ड इलेक्ट्रॉनिक फॉर्म में उपलब्ध है।

इंटीग्रेटेड क्रिमिनल जस्टिस सिस्टम (आईसीजेएस) जिसे ई-प्रिजन प्रोजेक्ट नाम दिया गया है के तहत सभी बंदियों की इलेक्ट्रॉनिक जन्मकुंडली में उनके बायोमेट्रिक रिकॉर्ड भी दर्ज है। इसमें प्रिजनर्स मैनेजमेंट सिस्टम में फोटोयुक्त पूरा डाटा उपलब्ध है। वहीं, विजिटर्स मैनेजमेंट सिस्टम में यदि कोई व्यक्ति दो से अधिक बार मिलने आता है तो कंप्यूटर रिजेक्ट कर देता है। यदि कोई कैदी सजा भूगने के बाद फिर से जेल में दाखिल होता है तो उसका रिकॉर्ड जेल में अब इलेक्ट्रॉनिकली देखा जा सकता है।

यही नहीं यह रिकॉर्ड न सिर्फ मप्र की जेलों में देखा जा सकता है, बल्कि भारत सरकार के गृह मंत्रालय से जुड़ा होने के कारण अन्य राज्यों में भी इसे एक्सेस किया जा सकता है। इसमें कैदियों से मिलने वालों का भी रिकॉर्ड शामिल है तो कैदी कितने बार बीमार पड़ा और उसे क्या बीमारी रही, इसकी भी रिपोर्ट उपलब्ध है।

दस साल का रिकॉर्ड हुआ कंप्यूटराइज

ई-प्रिजन प्रोजेक्ट में बीते 10 सालों के कैदियों का रिकॉर्ड कंप्यूटराईज किया जा चुका है। अब किसी भी कैदी की हिस्ट्री जानना हो तो उसे पुलिस आसानी से जान सकती है। कंप्यूटराइजेशन में 9 मॉड्यूल के जरिए रिकॉर्ड रखा जा रहा है। इसमें कैदी द्वारा जेल में किए गए काम और उसे मिलने वाले पारिश्रमिक तक शामिल है। बड़ी व केंद्रीय जेल पर करीब 4.84 लाख रुपए और छोटी जेलों पर 2.30 लाख रुपए में ई-प्रिजन प्रोजेक्ट पूरा किया गया है।

अन्य जेलों में अप्रेल से शुरु होगा ई-प्रिजन प्रोजेक्ट

बाकी की जिला और अन्य उप जेलों में यह प्रोजेक्ट अप्रेल से शुरु होगा। इसके लिए 3.65 करोड़ रुपए की स्वीकृति मिल चुकी है। साथ ही इस प्रोजेक्ट में डाटा फीड करने के लिए राज्य स्तरीय ई-लैब बनाई गई हैं, जिसमें तकनीकी प्रशिक्षण दिया जा रहा है।

इन मॉड्यूल का मौजूद है इलेक्ट्रॉनिक रिकॉर्ड

– बंदी का पंजीयन, जिसमें तमाम जानकारी।
– कैदी का व्यक्तिगत रिकॉर्ड व पंजीयन

– कैदी का आपराधिक रिकॉर्ड, केस की जानकारी, कब कौन सा अपराध किया कहां किया आदि
– कैदी से संबंधित कोर्ट द्वारा लिए गए निर्णयों और कार्रवाई विवरण

– कैदी के मूवमेंट की विस्तार से जानकारी।
-कैदी से संबंधित निर्णयों, व दोष सिद्धि का रिकॉर्ड

– पैरोल संबंधी रिकॉर्ड
– सजा, आय, जेल में किए गए काम आदि की जानकारी

– कैदी से मिलने वालों का फोटोयुक्त विवरण

कैदियों का डाटा कंप्यूटराईजेशन का काम जेल प्रहरी कर रहे हैं, इन्हें हमने ई-लैब में ट्रैंड किया है। जेल विभाग में कई प्रशिक्षित प्रहरी है, जिन्हें इसकी ट्रैनिंग देकर ट्रेंड किया गया हैं। पुराने डाटा का कंप्यूटराइजेशन का काम प्रोफेशनल डाटा ऑपरेटर कर रहे हैं। इस प्रोजेक्ट में जेल में बंदी की एंट्री से लेकर छूटने तक का डाटा संग्रहित किया जा रहा है।
संजय चौधरी, डीजी जेल

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