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हार-जीत का गणित बिगाडऩे वाले नोटा को मतदाता ने कहा ‘ना’

महज सवा 3 लाख ने ही दबाया नोटा का बटन

भोपालMay 27, 2019 / 09:22 am

KRISHNAKANT SHUKLA

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हार-जीत का गणित बिगाडऩे वाले नोटा को मतदाता ने कहा ‘ना’

भोपाल. आमतौर पर चुनावों में जीत हार का गणित नोटा के कारण बिगड़ जाता है, लेकिन इस बार मोदी लहर में नोटा भी बेअसर रहा। राज्य के सवा पांच करोड़ वोटर्स में से मात्र सवा तीन लाख वोट नोटा के खाते में आए हैं। यह कुल मतदान का 0.68 प्रतिशत है। 2014 में कुल मतदान का 0.81 प्रतिशत हिस्सा यानी 3 लाख 91 हजार 771 वोट नोटा को मिले थे।

मध्यप्रदेश की 29 में से मात्र एक लोकसभा सीट छिंदवाड़ा कांग्रेस को मिली। यहां मुख्यमंत्री कमलनाथ के पुत्र नकुलनाथ मात्र 37,536 वोट से चुनाव जीते। यहां नोटा पर 20 हजार 324 वोट पड़े। रतलाम में सर्वाधिक 35,431 मतदाताओं ने नोटा को चुना। यह यहां कुल मतदान का 2.53 प्रतिशत रहा। भिण्ड में सबसे कम यानी 2082 लोगों ने यहां खड़े उम्मीदवारों को नकारते हुए नोटा का बटन दबाया।

शुरुआत में असर दिखा था नोटा का

वर्ष 2013 के विधानसभा चुनाव में नोटा की शुरुआत हुई थी। तब मध्य प्रदेश में 6 लाख 51 हजार वोट नोटा को मिले थे। यह कुल वोट का 1.90 प्रतिशत रहे। वर्ष 2018 के विधानसभा चुनाव में यह घटकर 1.42 प्रतिशत रह गया।

कांग्रेस में गए बसपा नेता, वोट भाजपा को मिले

लोकसभा चुनाव से पहले बसपा के थोक में नेता कांग्रेस में शामिल हुए, लेकिन वोटों का फायदा भाजपा को मिला। पार्टी ने बसपा के दो पूर्व प्रदेश अध्यक्षों सत्यप्रकाश सखवार, प्रदीप अहिरवार के अलावा पूर्व सांसद फूल सिंह बरैया, देवराज सिंह पटेल, पूर्व विधायक शीला त्यागी को इंट्री दिलाई।

गुना में बसपा के अधिकृत प्रत्याशी लोकेंद्र सिंह को भी अपने पाले में ले लिया। इन बड़े नेताओं के आने के बाद भी वोट भाजपा के पक्ष में गए। प्रदेश की तीसरी बड़ी ताकत बसपा के लिए ये झटका है।

सीबीआई जांच पर कमलनाथ-तन्खा की मुलाकात

सीएम कमलनाथ से रविवार को मंत्रालय में जबलपुर से चुनाव हारे कांग्रेस प्रत्याशी और राज्यसभा सदस्य विवेक तन्खा ने मुलाकात की। सूत्रों के मुताबिक मुलाकात में जबलपुर में हार और चुनाव पहले आयकर छापों के मामले में सीबीआई जांच और डीओपीटी से मंजूरी के मसले पर चर्चा हुई।

यह देखा गया कि पूर्ववर्ती सरकार ने यह अधिनियम लागू किया था कि राज्य की बिना मंजूरी के राज्य के अधीन वाले मामलों को सीबीआई जांच के लिए नहीं दिया जा सकेगा, लेकिन डीओपीटी ने मामले में सीधे सीबीआई जांच को प्रकरण भेजा है।

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