पिछले सालों के पेपर्स सॉल्व करने से पैटर्न का पता चल जाता है। सिलेबस से ही पढ़ाई करने से सफलता आसानी से मिल सकती है। वहीं, फैक्चुअल पर ध्यान देने के साथ खुद के तैयार किए नोट्स पर भी फोकस करना चाहिए। ये ध्यान रखें कि एग्जाम से पहले कम से कम दो बार रीविजन हो जाए। तीन घंटे में 56 प्रश्न सॉल्व करने के लिए स्पीड बढ़ाने की भी प्रैक्टिस करें।
राजनंदिनी की थर्ड पोजिशन
जबलपुर की रहने वाली राजनंदिनी ने भोपाल मैनिट से साल 2016 में बीटेक इलेक्ट्रॉनिक्स में पूरी की। राजनंदिनी बताती हैं, कैंपस इंटरव्यू के दौरान बोर्ड में इंटरव्यूअर को कह भी दिया था कि मुझे जॉब मिल भी गई तो ज्वॉइन नहीं करूंगी। उसे वक्त उन्हें पांच लाख का शुरुआती पैकेज मिला था। इसके बाद लगा कि ऑफर लेटर तो बिल्कुल नहीं मिलेगा लेकिन कंपनी ने न सिर्फ जॉब का ऑफर लेटर दिया बल्कि कहा कि आप अपना लक्ष्य यूपीएससी को ही रखना।
राजनंदिनी का कहना है कि मेरे पिता स्कूली शिक्षा विभाग में हेड मास्टर है। उनका हमेशा से सपना था कि बेटी आइएएस ऑफिसर बनकर देश की सेवा करे। पहले मैं बीए करना का मूड बना रही थी, लेकिन एआइइइइ में अच्छी रैंक मिली तो मैनिट ज्वाइन कर लिया। मैनिट में पढ़ाई करने के साथ ही आइएएस की प्रिपरेशन भी शुरू कर दी थी। रोज पांच से छह घंटे अलग से पढ़ाई करती थी। इंटरव्यू में पांच लाख पैकेज का जॉब छोड़ा, सेकंड अटैम्ट में बनीं डिप्टी कलेक्टर
प्री में नहीं हो पाया था सलेक्शन
राजनंदिनी का कहना है कि पहली बार जब एमपीपीएससी दिया तो प्री में महज एक नंबर से सलेक्शन से चूक गई थी। यहां तक पहुंचने के लिए प्रतिदिन 16 से 18 घंटे तक तैयारी की। दो साल से सोशल मीडिया का बिल्कुल यूज नहीं कर रही हूं। यूपीएससी के हिसाब से तैयारी करती रही। मेरा अगला टारगेट आइएएस ऑफिसर बनना ही है। मैं डिप्टी कलेक्टर की पोस्ट ज्वॉइन कर साथ ही तैयारी करती रहूंगी।