ये स्थिति तब है, जब प्रशासक पानी को लेकर लगातार बैठकें ले रही हैं। हर क्षेत्र में शिविर लगाकर लोगों से उनकी समस्याएं पूछी जा रही हैं और निराकरण के निर्देश दिए जा रहे हैं। सबसे अधिक लंबित शिकायतें जोन चार, जोन 18, जोन 2, जोन 17 में हैं। जोन 18 में तो रहवासियों का सहायक यंत्री से लगभग रोजाना विवाद हो रहे हैं। जोन चार में लोगों को कम दबाव से जलापूर्ति की जा रही और शिकायतों को अपने स्तर पर ही निपटान किया जा रहा। हालांकि अब प्रशासक कल्पना श्रीवास्तव ने जलकार्य की मॉनीटरिंग अपने हाथ में ली है और उनका कहना है कि शिकायतों की पूरी जांच करवाई जाएगी, ताकि ये दोबारा न खुले, लोगों को राहत मिले।
शहर में जलसंकट के ये कारण
-नगर निगम में जलकार्य के अधिकारी व इंजीनियर प्रभार पर काम कर रहे हैं, तकनीकी तौर पर वे दक्ष नहीं हैं।
-पूरी टीम पीएचई से प्रति नियुक्ति पर आई जो सीधे निगम के प्रति जवाबदेह नहीं।
-जलकार्य का पूरा काम ठेकेदारों के हाथ में है, इन्हें पूरा भुगतान किया जा रहा, लेकिन मॉनीटरिंग नहीं हो रही।
-नगर निगम में जलकार्य के अधिकारी व इंजीनियर प्रभार पर काम कर रहे हैं, तकनीकी तौर पर वे दक्ष नहीं हैं।
-पूरी टीम पीएचई से प्रति नियुक्ति पर आई जो सीधे निगम के प्रति जवाबदेह नहीं।
-जलकार्य का पूरा काम ठेकेदारों के हाथ में है, इन्हें पूरा भुगतान किया जा रहा, लेकिन मॉनीटरिंग नहीं हो रही।
पानी वितरण का काम पीएचई के ही जिम्मे रखना चाहिए। निगम के पास जल वितरण को लेकर तकनीकी लोगों की कमी है। पानी की लाइन बिछाने से लेकर वितरण तक तकनीकी काम है, ये निगम के बस की बात नहीं है। इसलिए ही दिक्कत है।
जीएस दुबे, रिटायर्ड एसई, जलसंसाधन
जीएस दुबे, रिटायर्ड एसई, जलसंसाधन
पानी एक तकनीकी वाला काम है और इसे प्रभार पर चलाना ठीक नहींं है। जिस स्तर का काम हो, उसके लिए उसी स्तर केइ इंजीनियर हो तो सही प्लान बनेगा। शहर को बेहतर जलापूर्ति के लिए बेहतर प्लान की जरूरत है, जलकार्य टीम बेहतर होना चाहिए।
केएस चौहान, रिटायर्ड सीई, जल संसाधन
केएस चौहान, रिटायर्ड सीई, जल संसाधन