नगरीय निकायों को केंद्र ने मनोरंजन कर का झुनझुना पकड़ाया है। निकाय सिनमोघरों के अलावा किसी भी माध्यम से हो रहे मनोरंजन से टैक्स नहीं ले सकता। समस्या ये है कि वह इनकी गणना ही नहीं कर सकता।
गिरीश शर्मा, केबल ऑपरेटर
केबल पर पहले से जीएसटी लागू है, इसलिए इसे टैक्स के दायरे में नहीं लिया जा रहा है। सिनेमाघर संचालकों से चर्चा हुई है। ऑनलाइन माध्यम से कैसे मनोरंजन कर लिया जाए, इसकी योजना बनाई जा रही है।
रणवीर सिंह, अपर आयुक्त, निगम
वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) के बाद मनोरंजन कर लगाने से गुस्साए सिनेमाघर मालिक शुक्रवार से अनिश्चितकालीन हड़ताल पर जा रहे हैं। सभी सिनेमाघर बंद रहेंगे। वे न्यायालय की भी शरण ले चुके हंै। एक जुलाई 2017 के पहले सिनेमा घर टैक्स के दायरे में नहीं थे, लेकिन अब 18त्न लगा दिया। स्थानीय निकाय ने 99 रुपए के टिकट पर 5त्न, 99 से 199 रु. पर 10 प्रतिशत और उसके ऊपर 15 प्रतिशत मनोरंजन शुल्क लगाया है। सिनेमा ऑपरेटरों का कहना है कि 25त्न के टैक्स का भार आ गया है। निकाय को 200 रुपए प्रति शो चुकाना पड़ते हंै। 50त्न डिस्ट्रीब्यूटर को देने के बाद उनके खाते में 25 फीसदी राशि भी नहीं आती। उसके ऊपर स्टॉप का खर्च, बिजली और सिनेमाघर का रखरखाव आदि पर भी भारी राशि खर्च होती है।
10 सिनेमाघर हैं राजधानी में
18त्न जीएसटी के दायरे में हैं सिनेमाघर कर के विरोध में सिनेमाघर शुक्रवार से बंद रहेंगे।
अश्विनी अग्रवाल, प्रवक्ता, सेन्ट्रल सर्किट सिने एसोसिएशन