निगम ने एजेंसियों को मोबाइल फ्यूल डिस्पेंसर विकसित करने का विकल्प भी दिया है। यदि वे किसी कारण डीजल टैंक विकसित करने में दिक्कत महसूस करें तो वहां मोबाइल फ्यूल डिस्पेंसर भी विकसित कर सकती। इसमें टैंक बनाने की जरूरत नहीं होती है। एक चलित वाहन पर ही पूरा सिस्टम लगा रहता है। ये इन गाडियों में नोजल लगा होता है और सीधे वाहनों में फ्यूल दिया जा सकता है। हालांकि इसमें विस्फोटक नियंत्रण कार्यालय की अनुमति मुश्किल होती है। यदि कोई एजेंसी ये अनुमति ला सकती है तो चलित वाहन से भी निगम के वाहनों में ईंधन भरा जा सकेगा। 30 जनवरी तक एजेंसियों को आमंत्रित किया है, फरवरी के पहले सप्ताह में इनमें से किसी एक को तय कर लिया जाएगा।
गौरतलब है कि इस समय नगर निगम के वाहनों की संख्या 1000 के करीब है। एक माह में इनमें एक करोड़ रुपए का ईंधन खप जाता है। रोजाना एक टैंकर डीजल की आपूर्ति नगर निगम के लिंक रोड स्थित डीजल टैंक पर होती है। चार नए टैंक विकसित होने से यहां का भार काफी कम हो जाएगा। यदि कोई एजेंसी मोबाइल फ्यूल डिस्पेंसर स्थापना में रूचि दिखाती है तो उसे मौजूदा तय चार ट्रांसफर स्टेशन के साथ यादगारे शाहजहांनी वेस्ट ट्रांसफर स्टेशन पर भी व्यवस्था करना होगी।
नए डीजल टैंक का सबसे बड़ा लाभ डीजल की खपत कम होने के तौर पर होगा। अयोध्या बायपास क्षेत्र के वाहन डीजल के लिए लिंक रोड तक नहीं आएंगे। वे अपने क्षेत्र के ही कोकता ट्रांसपोर्ट नगर में ही डीजल ले लेंगे। होशंगाबाद रोड, कोलार, मिसरोद क्षेत्र से जुड़े निगम के वाहन दानापानी ट्रांसफर स्टेशन से तो पुराने भोपाल के आरिफ नगर स्टेशन से डीजल लेंगे। बैरागढ़ ट्रांसफर स्टेशन का लाभ गांधी नगर, बैरागढ़ से जुड़े वार्ड के निगम वाहनों को मिलेगा। निगम को इससे प्रतिमाह 20 हजार लीटर तक डीजल बचत की उम्मीद है। प्रति डीजल टैंक की क्षमता 20 हजार लीटर रखी गई है। डीजल टैंक प्रभारी प्रेमशंकर शुक्ला ने ये पूरा प्रस्ताव बनाया था। अपर आयुक्त कमल सोलंंकी व निगम आयुक्त विजय दत्ता की मंजूरी के बाद एजेंसियों को आमंत्रित करने की कवायद शुरू हुई। शुक्ला का कहना है कि निगम में ये संभवत: पहली बार हो रहा है, इसका लाभ मिलेगा।