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7 स्टार रैंकिंग: न तालाब हुए साफ, न बारिश में जल निकासी के इंतजाम

जिन मानकों पर खुद को खरा साबित करना है, उनमें से 80 फीसदी में भोपाल बेहद कमजोर

भोपालDec 10, 2018 / 12:24 am

Ram kailash napit

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भोपाल. राजधानी को कचरा मुक्त घोषित करने नगर निगम ने केंद्र सरकार को 7 स्टार रेटिंग का दावा तो कर दिया, लेकिन इसके लिए जिन मानकों पर खुद को खरा साबित करना है, उनमें से 80 फीसदी में भोपाल बेहद कमजोर है। 7 स्टार रेटिंग में तालाबों की साफ-सफाई और बारिश के पानी की शहर से पूरी निकासी जैसे मानक भी है, जिनमें हम बेहद पीछे हैं। ऐसे में बेहतर रेकिंग की उम्मीद कैसे की जा सकती है।

घर-घर कचरा संग्रहण: 3 लाख घरों से 1782 श्रमिक, 973 साइकिल रिक्शा व 190 ऑटो रिक्शा से कचरा कलेक्शन करते हैं। अभी करीब एक लाख घरों से कचरा नहीं उठ पा रहा है।
संग्रहण स्थल पर ही कचरे का सेग्रिगेशन: गीले और सूखे कचरे को घर व दुकान में अलग-अलग करने की मुहिम तो शुरू हुई, लेकिन रोजाना निकलने वाले 900 मीट्रिक टन कचरे में से 20 फीसदी का भी सेग्रिगेशन नहीं हो पा रहा।
सार्वजनिक, व्यवसायिक एवं आवासीय क्षेत्रों में सफाई: रहवासी क्षेत्र में दिन में एक बार, सार्वजनिक क्षेत्र में दिन में दो बार और व्यवसायिक क्षेत्र में रात को अतिरिक्त सफाई का नियम है। इसके लिए 400 कर्मचारी व 20 गाडिय़ां लगा रखी हैं। 3000 लीटरबिन लगाए, लेकिन मॉनीटरिंग की पुख्ता व्यवस्था नहीं है।
बारिश के पानी की निकासी: छोटे-बड़े 800 बरसाती नालों पर 14 हजार से अधिक अतिक्रमण हंै। बारिश का पानी इनमें रुक जाता है। निगम इन अतिक्रमण को हटाने की हिम्मत नहीं कर पा रहा।
जल स्रोतों की सफाई: शहर में एक नदी, 13 तालाब और छह नहर हंै। कलियासोत नदी गंदा नाला बन गई तो तालाब गाद व गंदगी से खत्म हो गए। बड़ा व छोटा तालाब तक सिकुड़ गए और इनका पानी लगातार खराब हो रहा।
होटल, रेस्त्रां व कॉलोनी द्वारा खुद का वेस्ट डिस्पोज करना: शहर में 1700 के करीब होटल, रेस्त्रां व कवर्ड कॉलोनियों को निगम ने खुद के एसटीपी और कंपोस्ट यूनिट लगाकर कचरा निष्पादन या लैंडफिल साइट पर से फिकवाने की व्यवस्था के निर्देश तो दिए, लेकिन इनका पालन नहीं हो रहा।
वैज्ञानिक लैंडफिल तथा निर्माण एवं विध्वंस: आदमपुर छावनी में नई लैंडफिल साइट तो बना दी, लेकिन वहां कचरे का साइंटिफिक निपटान शुरू नहीं किया। 20 मेगावाट बिजली उत्पादन करने वेस्ट टू एनर्जी प्लांट का काम तक शुरू नहीं हुआ। ऐसे में ये तमाम पहलू भोपाल नगर निगम के बेहद कमजोर पक्ष हंै। इन पर ध्यान देना जरूरी है।
स्पॉट फाइन व प्लास्टिक के उपयोग पर प्रतिबंध का अमल- सार्वजनिक जगह पर गंदगी करने वालों पर निगम 80 लाख रुपए स्पॉट फाइन कर चुका है। बावजूद इसके दुकानों के आसपास से रोजाना 150 मिट्रिक टन वेस्ट निकल रहा है। प्लास्टिक पर प्रतिबंध है, फिर भी रोजाना 40 क्विंटल से अधिक इसकी बिक्री हो रही है।
नागरिक शिकायत एवं फीडबैक सिस्टम- निगम ने खुद का स्वच्छ मेप एप जारी किया। शुरूआत में 42 हजार लोगों द्वारा इसे डाउनलोड करने का दावा भी किया, लेकिन इसको लेकर जागरूकता नहीं बढ़ाई। लोगों ने इससे दूरी बना ली। अब दो हजार भी इसका उपयोग नहीं कर रहे।

ये भी बिंदु, जो 7 स्टार रेटिंग में शामिल
कचरे का क्षेत्र में ही निपटान करने गार्बेज ट्रांसफर और डिस्पोजल सेंटर
लीटरबिन के तौर पर लोगों को कचरा फेंकने की सुविधा देना
निर्माण सामग्री वेस्ट समेत अन्य कचरे को लेने की व्यवस्था
शहरी सौंदर्यीकरण
हर घर से कचरा उठाने के एवज में यूजर चार्ज की पूरी रिकवरी

सुझाव हों तो दर्ज कराएं
भोपाल का स्टार रेटिंग का दावा आमजन के फीडबैक से ही मजबूत होगा। आप निगम मुख्यालय माता मंदिर जाकर 21 दिसंबर तक इसके बिंदुओं पर अपने सुझाव व आपत्तियां प्रस्तुत कर सकते हैं।

7 स्टार रेटिंग का दावा हमने किया है। शहर में सौंदर्यीकरण, तालाब सफाई, कचरा निष्पादन, कंपोस्ट यूनिट बांटकर गीला कचरे की खाद बनाना, गीले-सूखे कचरे के सेग्रिगे्रशन की कोशिश कर रहे हैं। बारिश के पानी की निकासी, तालाबों की पूरी सफाई का काम थोड़ा मुश्किल है।
एसएस धाकड़े, अपर आयुक्त स्वास्थ्य

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