इसके बाद ये आदेश जारी हुए। इसमें कहा गया है कि सभी निकायों में एबीपीएस पार्ट दो लागू कर दिया गया है। सभी कार्यालय प्रमुखों को एमआईएस देखने के लिए आईडी-पासवर्ड दे दिए हैं। बताया गया कि बावजूद इसके कार्यालय प्रमुख अनुज्ञाओं की स्थिति की रोजाना मॉनीटरिंग नहीं कर रहे हैं, जिससे दिक्कत आ रही है। इसके लिए अब 30 दिन का समय तय किया है।
दरअसल इस काम को संभालने वाली एबीपीएस पार्ट एक की पुरानी एजेंसी का कार्यकाल दो माह पहले ही खत्म हो गया। नई एजेंसी ने जिम्मा संभाला, लेकिन नए सॉफ्टवेयर को जमीनी स्थितियों के अनुरूप सही नहीं किया गया। नतीजा ये रहा कि यहां भवन निर्माण मंजूरी को लेकर लोग आवेदन कर रहे हैं मंजूरी की प्रक्रिया नहीं बढ़ रही। एक अक्टूबर से शहर की भवन अनुज्ञा शाखा नए ऑनलाइन बिल्डिंग परमिशन सिस्टम की खामियों से जूझ रही है। एबीपीएस भाग दो के नाम पर पूरे प्रदेश में ये सिस्टम लागू किया हुआ है।
डिजिटल जाति प्रमाण पत्र के लिए मूल दस्तावेज जरूरी नहीं
सामान्य प्रशासन विभाग ने अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति अन्य पिछड़ा वर्ग एवं विमुक्त जाति के व्यक्तियों को डिजिटल जाति प्रमाण पत्र जारी किए जाने के संबंध में छूट देने के निर्देश जारी कर दिए हैं।
ऐसे व्यक्ति जिन्हें पूर्व में मेनुअल जाति प्रमाण पत्र जारी किए गए हैं, उन्हें लोक सेवा गारंटी अधिनियम के तहत अधिसूचित सेवा में डिजिटल प्रमाण पत्र प्राप्त करने के लिए मेन्युअल मूल जाति प्रमाण पत्र पेश करने की आवश्यकता नहीं रहेगी। आवेदक मूल जाति प्रमाण पत्र की जगह मूल जाति प्रमाण पत्र की स्व प्रमाणित कॉपी लगा सकते हैं। इस आधार पर उन्हें समय सीमा में डिजिटल जाति प्रमाण पत्र जारी कर दिया जाएगा।