झांकी के दौरान कई आयोजन होते थे, जिसमें कव्वाली, कवि सम्मेलन, रामलीला, रासलीला पूरे नौ दिनों तक चलती थी। इस झांकी में दूर-दूर से इतने लोग आते थे कि समिति नौ दिनों के लिए साइकिल स्टैंड का ठेका देती थी।
संयोजक श्यामलाल चौरसिया बताते हैं कि झांकी के लिए कर्मचारी एक दिन का वेतन कटाते थे। उतनी ही राशि मिल प्रबंधन मिलाता था। इससे बिजली की व्यवस्था की जाती थी।
स्थानीय लोग बताते हैं कि झांकी वाले स्थान पर पहले से काली मई की मढिय़ा होने का अहसास स्थानीय लोगों को हुआ। इसी वजह से यहां काली धाम मंदिर बना दिया गया।
मिल बंद होने से कई सदस्य दूसरे स्थानों पर चले गए। अब भी यहां काली धाम मंदिर के पास ही माता की विशाल प्रतिमा पिछले दस सालों से बैठ रही है। वर्तमान में श्याम लाल चौरसिया, पं. सुमित अवस्थी, भूपेंद्र सिंह चौहान, केपी यादव, मुकेश धानक आदि जिम्मेदारी संभाल रहे हैं।
नवरात्र शुरू होते ही पूरे शहर में उत्सव का नजारा दिखाई देने लगा है। पूरा शहर माता रानी के जयकारों से गूंज रहा है, सुबह-शाम आरती की सुमधुर स्वरलहरियों के साथ घरों में भी पूजा अर्चना का सिलसिला चल रहा है। पूरा शहर रोशनी से जगमगा रहा है और देर रात तक सड़कों पर चहल पहल दिखाई दे रही है। शहर में जगह-जगह सजे माता रानी के दरबारों में दर्शन के लिए भक्तों की लंबी-लंबी कतारें लगने लगी हैं।
न्यू मार्केट में व्यापारी महासंघ की ओर से सजाई गई झांकी खासआकर्षण का केंद्र बनी हुई है। यहां 60 फीट ऊंचा पहाड़ बनाया गया है, गुफा के अंदर से और पहाड़ों के ऊपर से लोग दर्शन के लिए पहुंच रहे हैं। आकर्षक विद्युत साज-सज्जा के बीच यह पहाड़ों पर बनी झांकी और सबसे ऊंची चोटी पर बना भैरव मंदिर की झांकी लोगों के खास आकर्षण का केंद्र है। यहां दर्शन के लिए भक्तों की लंबी-लंबी कतारे लग रही है।
पुरानी विधानसभा यादवपुरा, कात्यायनी मंदिर के पीछे से रविवार को वंदे मातरम समिति की ओर से चुनरी यात्रा निकाली जाएगी, जिसमें बड़ी संख्या में श्रद्धालु शामिल होंगे। समिति के मोहन राजपूत मनु ने बताया, इस दौरान 101 मीटर लंबी चुनरी लेकर महिलाएं और पुरुष चलेंगे। यह चुनरी यात्रा यादवपुरा से काली मंदिर तलैया पहुंचेगी, यहां माता रानी को चुनरी अर्पित की जाएगी और विशेष पूजा अर्चना होगी।
मां दुर्गा की झांकियों के साथ शहर में जगह-जगह मां काली की स्थापना भी की गई। शनिवार को शहर में अनेक स्थानों पर महाकाली को विराजमान किया गया और पूजा अर्चना का सिलसिला शुरू हो गया। शुक्रवार देर रात में श्रद्धालु ढोल ढमाकों के साथ श्रद्धालु मां काली की प्रतिमा लेकर पंडालों में पहुंचे, जहां विधि विधान के साथ मां काली की स्थापना की गई।