भोपाल में जगह—जगह देवी माता के पांडाल लगे हुए हैं, जहां सुबह ओर शाम के समय आरती व पूजा होती है। इस दौरान देवी मां के दर्शन के लिए भक्तों की भीड़ शाम होते ही उमड़ना शुरु कर देती है।
नवरात्रि दिन 4: 24 सितंबरनवरात्र-पूजन यानि त्यौहार के चौथे दिन यानि चतुर्थी पर मां दुर्गा के चौथे रूप देवी कुष्मांडा की पूजा की जाती है। इस दिन साधक का मन ‘अदाहत’ चक्र में अवस्थित होता है। अतः इस दिन उसे अत्यंत पवित्र और अचंचल मन से कूष्माण्डा देवी के स्वरूप को
ध्यान में रखकर पूजा-उपासना के कार्य में लगना चाहिए।
जब सृष्टि का अस्तित्व नहीं था, तब इन्हीं देवी ने ब्रह्मांड की रचना की थी। अतः ये ही सृष्टि की आदि-स्वरूपा, आदिशक्ति हैं। इनका निवास सूर्यमंडल के भीतर के लोक में है। वहाँ निवास कर सकने की क्षमता और
शक्ति ? केवल इन्हीं में है। इनके शरीर की कांति और प्रभा भी सूर्य के समान ही दैदीप्यमान हैं।
इनके तेज और प्रकाश से दसों दिशाएँ प्रकाशित हो रही हैं। ब्रह्मांड की सभी वस्तुओं और प्राणियों में अवस्थित तेज इन्हीं की छाया है। माँ की आठ भुजाएँ हैं। अतः ये अष्टभुजा देवी के नाम से भी विख्यात हैं।
इनके सात हाथों में क्रमशः कमंडल, धनुष, बाण, कमल-पुष्प, अमृतपूर्ण कलश, चक्र तथा गदा है। आठवें हाथ में सभी सिद्धियों और निधियों को देने वाली जपमाला है। इनका वाहन सिंह है। मां कूष्माण्डा की उपासना से भक्तों के समस्त रोग-शोक मिट जाते हैं। इनकी भक्ति से आयु, यश, बल और आरोग्य की वृद्धि होती है। माँ कूष्माण्डा अत्यल्प सेवा और भक्ति से प्रसन्न होने वाली हैं। यदि मनुष्य सच्चे हृदय से इनका शरणागत बन जाए तो फिर उसे अत्यन्त सुगमता से परम पद की प्राप्ति हो सकती है।
विधि-विधान से मां के भक्ति-मार्ग पर कुछ ही कदम आगे बढ़ने पर भक्त साधक को उनकी कृपा का सूक्ष्म अनुभव होने लगता है। यह दुःख स्वरूप संसार उसके लिए अत्यंत सुखद और सुगम बन जाता है। माँ की उपासना मनुष्य को सहज भाव से भवसागर से पार उतारने के लिए सर्वाधिक सुगम और श्रेयस्कर मार्ग है।
मां कूष्माण्डा की उपासना मनुष्य को आधियों-व्याधियों से सर्वथा विमुक्त करके उसे सुख, समृद्धि और उन्नति की ओर ले जाने वाली है। अतः अपनी लौकिक, पारलौकिक उन्नति चाहने वालों को इनकी उपासना में सदैव तत्पर रहना चाहिए। गुजरात सहित मध्यप्रदेश व देश के अन्य हिस्सों में भी पूर्ण उत्साह के साथ नवरात्रि मनाया जाता है। इन नौ दिनों के दौरान कई प्रतियोगिताओं का आयोजन भी किया जाता है।
तीसरे दिन के आयोजन:
डिफरेंट मूड में आए गरेबियंस : एक ओर जहां पत्रिका डांडिया महोत्सव अपने शबाब पर था, वहीं कुछ पार्टिसिपेंट फनी लुक में नजर आए। किसी ने काले चश्मे पर स्टाइल स्टेटमेंट दिखाया तो कोई माता काली, शंकर भगवान के गैटअप में था। कई पार्टिसिपेंट को कार्टून कैरेक्टर बनकर डांडिया करते दिखे। ब्लैक चश्मे का क्रेज लड़कियों में ज्यादा देखा गया। ये सभी स्टाइलिश चश्मे के साथ सेल्फी लेते दिखे।
डांडिया की खन-खन के बीच उनकी अदाएं देखने लायक थीं। लाल, पीली, हरी और दूधिया रोशनी से जगमगाते हुए पंडाल में यूथ डांडिया की रिदम पर झूमते दिखे। ये बने विनर :-
फस्र्ट राउंड
बेस्ट डे्रस मेल- देवेंद्र चौकीकर
बेस्ट डे्रस फीमेल- आशी साहू
हंसता हुआ नूरानी चेहरा- शिल्पी शिरोले
गरबे का गरबू- हिमांशु श्रीवास्तव
बेस्ट प्रॉप- दामोदर कश्यप
सेकंड राउंड
बेस्ट परफॉर्मर- स्वाति गोंडनाने
स्वेगर अटायर- खुशबू कुशवाह
बेस्ट कपल-आयुषी पटेल, चिरंजीव पवार
ओल्ड इज गोल्ड मेल- अजीत जैन
ओल्ड इज गोल्ड फीमेल- शोभा गटपांडे
बेस्ट ज्वैलरी- रीना भाटिया
छोटा उस्ताज- अनन्या अग्रवाल फ्री स्टाइल राउंड
रॉक स्टार कपल- मक्ष, सिद्धी
फ्री स्टाइल डांस मेल- इशांत शर्मा
फ्री स्टाइल डांस फीमेल- पूजा ओड़
ब्यूटीफुल फेस-रानी राय
हैंडसब हंक- दीपक द्विवेद्वी