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भोपाल

बालश्रम की समस्या के जड़ की ओर जाने की जरूरत : बहुगुणा

प्रवासी बच्चों के अधिकारों के संरक्षण और बालश्रम की रोक-थाम पर बैठक

भोपालOct 01, 2018 / 07:58 pm

Rohit verma

child labour

बालश्रम की समस्या के जड़ की ओर जाने की जरूरत : बहुगुणा

भोपाल. हमें बालश्रम की समस्या के हल की ओर नहीं उसकी जड़ की ओर जाने की जरूरत है। बालश्रम एक गंभीर समस्या है और इसके लिए सभी को एक साथ कंधे से कंधा मिलाकर चलने की जरूरत है, तभी इस चुनौती से पार पाया जा सकता है। इससे प्रवासी बच्चे भी प्रभावित होते हैं, उन्हें भी संरक्षण की विशेष आवश्यकता है, जिसके लिए श्रम विभाग कृत संकल्पित है। हमें कई बार यह मानने में गुरेज नहीं होना चाहिए कि कई बार हमारे द्वारा किए गए प्रयासों में कमी रह जाती है।

बालश्रम के मामले में एनसीएलपी के परिणाम उतने अच्छे नहीं आए हैं। अभी सर्वे भी नहीं हुआ है, जिसकी अथक जरूरत है, समर्पित संस्थाएं सामने आएं और वे इसे पूरा करें। यह बात मध्यप्रदेश श्रमायुक्त राजेश बहुगुणा ने मध्यप्रदेश श्रम विभाग और एड एट एक्शन द्वारा संयुक्त रूप से होटल शुभ इन में आयोजित प्रवासी बच्चों के अधिकारों के संरक्षण और बालश्रम की रोक-थाम पर हितधारकों की परामर्श बैठक में कही।

 

कार्यक्रम में एड एट एक्शन की एमआइआरसी इकाई के दक्षिण एशिया प्रभारी ज्योति प्रकाश ने कहा कि पलायन आज की सच्चाई है। ऐसे में इस बात की जरूरत है कि हम प्रवासी बच्चों के संरक्षण के लिए किस तरह बेहतर व्यवस्था कर सकते हैं। वर्ष 2011 की जनगणना के अनुमानित आंकड़ों के अनुसार मप्र में कुल पलायन करने वाले लोगों में से 30-35 फीसदी बच्चे (14 वर्ष से कम) होते हैं। ऐसी स्थिति में उनकी अपनी सुरक्षा और शिक्षा के मसले सामने आते हैं।
इस पूरी प्रक्रिया में बच्चों के शिक्षा के अधिकार का उल्लंघन होने के साथ ही 6 वर्ष से कम उम्र के बच्चों को ईसीसीई का लाभ भी नहीं मिल पाता। प्रवासियों के साथ ट्रैफिकिंग भी जुड़ी हुई है, जिसे एड्रेस ही नहीं किया जाता। इन पर हितधारकों की समझ भी नहीं है। कई राज्यों में बच्चों के गुम होने के सम्बन्ध में आए माननीय उच्चतम न्यायालय के फैसले का अक्षरश: पालन नहीं हो रहा है। मप्र में भी बच्चों के गुम होने के मामले हैं और उनका पलायन से जुड़ाव है, जिसे समझने और उस पर साझा पहल करने की जरुरत है।
एड एट एक्शन के मध्यप्रदेश प्रभारी प्रवीण भोपे ने कहा कि एड एट एक्शन द्वारा वर्ष 2013 में किया गया एक अध्ययन बताता है कि प्रवासी बच्चों में से गंतव्य पर केवल 4 प्रतिशत बच्चों की ही स्कूल तक पहुंच होती है। 95 फीसदी बच्चे आईसीडीएस सेवाओं के सार्वभौमिक होने के बाद भी उनका लाभ नहीं ले पाते।
कार्यशाला को संबोधित करते हुए राजीव अग्रवाल ने बालश्रम की समस्या के कई पहलुओं को सामने रखते हुए मौजूदा कानूनों के क्रियान्वयन में सुस्ती पर चिंता जताई। बरकतुल्ला विश्वविद्यालय की समस्शास्त्र विभाग की डॉ. रुचि घोष ने कहा कि बालश्रम आदिकाल की समस्या नहीं है, यह आर्थिक विषमताओं की देन है।
वरिष्ठ सामजिक कार्यकर्ता राकेश दीवान ने कहा कि गरीबी और दयनीयता में अंतर है। वह श्रम बेच रहा है और उसके श्रम का हमारे सामने कोई मोल नहीं है। जब तक यह मोल सभी नहीं समझेंगे, तब तक समस्याएं बनी रहेंगी।
गांधीवादी चिंतक और विचारक सुरेन्द्र नाथ दुबे ने बच्चों की शिक्षा पर जोर देते हुए कहा कि यदि बच्चे शिक्षित होंगे तो समाज भी वैसा ही बनेगा। भोपाल चैंबर ऑफ कॉमर्स के सदस्य ललित जैन ने कहा कि हम अपनी ओर से भरसक कोशिश करेंगे कि औद्योगिक प्रतिष्ठानों में बच्चे काम पर न लगाए जाएं। कार्यशाला में मध्यप्रदेश के 10 जिलों से पलायन पर काम करने वाली संस्थाओं के प्रतिनिधि सहित अन्य लोग मौजूद रहे। श्रम निरीक्षक मयंक दीक्षित भी मौजूद रहे।

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