कोटरा सुल्तानाबाद निवासी नीलू हर्षे ने 25 वर्ष पूर्व इलाहाबाद बैंक की नौकरी छोड़कर शहडोल जिले के केमबाई गांव में महिलाओं/बेटियों को पढ़ाना शुरू किया। यहां तीन वर्ष पढ़ाया। यह ऐसा गांव था, जहां बिजली जैसी तमाम मूलभूत सुविधाएं तक नहीं थीं। इसके बाद उन्होंने रीवा-इलाहाबाद रोड पर मनिगांवा में दो वर्ष पढ़ाया।
इसके बाद आसाम के तिनसुकिया जैसे इलाके में ब्यूटी सेंटर शुरू कर रिमोट एरिया की महिलाओं का सौंदर्य निखारा। इसके बाद वर्ष 1995 से भोपाल में महिलाओं/बेटियों को श्रृंगारिका ब्यूटी सेंटर शुरू कर प्रशिक्षित करना शुरू किया। 25 वर्षों के दौरान पांच दर्जन से अधिक महिलाओं को प्रशिक्षित कर चुकी हैं।
पर्सनेलिटी डवलप कराई
नीलू ने घर में प्रताडऩा झेल रहीं या बेसहारा हो चुकीं महिलाओं और लड़कियों को प्रशिक्षित कर आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर ही नहीं बनाया, बल्कि उनका व्यक्तित्व विकास कर निडर और सिर उठाकर शहरी जीवन जीने लायक बनाया।
नेहरू नगर में रियल टच पॉर्लर चलाने वाली विजयलक्ष्मी ने बताया कि उनके परिवार के इतने खराब हालात थे कि आत्मघात करने के सिवा कुछ और रास्ता ही नहीं दिख रहा था। एक बेटी व एक बेटा था। शादी से पहले कुछ दिनों तक नीलू से सीखा था। हारकर वहां गई तो नया जीवन मिल गया। उन्होंने टें्रड कर फिर से नया जीवन दिया और बिना एक पैसा लिए जरूरत का पूरा सामान देकर काम शुरू करवा दिया। आज उसके बच्चे अच्छे स्कूल/कॉलेज में पढ़ रहे हैं।
शबरी नगर, कोटरा निवासी शहनाज के मां-बाप नहीं हैं। वह भाई के साथ रहती है, लेकिन 6 वर्षों से यहीं रहकर प्रशिक्षण लिया और पूरा काम संभाल रही है। नेहरू नगर की शशि ने भी बताया कि नीलू ने किस तरह उनके परिवार को सहारा देकर गरीबी के भंवर से निकाला।