जांच में पाया कि जो 71 बिना उपयोग के डाक मतपत्र हैं, ज्यादातर उन आरक्षकों के हैं जो तेलंगाना और राजस्थान ड्यूटी पर हैं। ये रीवा, सतना, सीधी और राजगढ़ के हैं। लौटने पर ये डाक मतपत्र इन्हें वितरित किए जाने थे, लेकिन इससे पहले ही लापरवाही हो गई।
पोस्ट ऑफिस का अमला भी लापरवाह
पोस्ट ऑफिस के अधिकारियों और डाकिए ने डाक मतपत्रों को सामान्य डाक की तरह ट्रीट किया। जबकि गंभीरता बरतनी चाहिए। इस मामले को लेकर उप मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी राजेश श्रीवास्तव ने रिपोर्ट मांगी है।
कटनी: पत्रों की जांच पहुंची आयोग
कटनी में डाक मतपत्रों की पेटी की सील टूटने के प्रकरण में जांच के बाद आयोग ने कलेक्टर को क्लीनचिट दी। आयोग का कहना है कि जिला निर्वाचन कार्यालय के सामने डाक मतपत्र डालने के लिए पेटी लगाई हैं। रोजाना शाम को इससे पत्र निकाल लिए जाते हैं।
वीवीपैट मशीनों की सुरक्षा, स्ट्रॉनग रूम के डेढ़ घंटे के वीडियो फुटेज नहीं देने और होमगार्ड मुख्यालय की कैंटीन में डाक मतपत्र मिलने पर बुधवार को कांग्रेस ने चुनाव आयोग से शिकायत की। कांग्रेस ने पांच मशीनों की सील टूटी मिलने की भी चुनाव आयोग को शिकायत की है। आयोग ने जवाब दिया है कि मतगणना के दिन ही देखा जाएगा। कांग्रेस के जेपी धनोपिया ने कहा है कि शिकायतों का निराकरण नहीं किया गया तो हम कोर्ट जाएंगे।
ये भी हुई चूक
पोस्टमैन को डाक मतपत्रों को अलग-अलग नाम से आए आरक्षकों को देना था। एएसआइ ने उच्च अधिकारी से बात करने के बाद डाक मतपत्र लिए थे। पोस्टमैन भी दोषी है।
बुधवार को डाक मतपत्र लेकर जमा करने के लिए कर्मचारी भटकते रहे। होमगार्ड मुख्यालय से कहा गया कि यह स्ट्रॉन्ग रूम में जमा होंगे। कर्मचारी जब स्ट्रॉन्ग रूम पहुंचे तो उन्हें वहां से भी लौटा दिया गया।
भोपाल जिले में 19 हजार डाक मतपत्र जारी किए हैं। ये रोजाना डाक से रिटर्निंग ऑफिसरों के यहां पिंक लिफाफे में पहुंच रहे हैं। 16 हजार डाक मतपत्र जमा हो चुके हैं।
डाक मतपत्र तीन लिफाफे में बंद रहता है। इसी में घोषणा-पत्र होता है। वोट के बाद उसे पिंक लिफाफे में बंद कर संबंधित रिटर्निंग ऑफिसर को पोस्ट करना होता है। हर विधानसभा क्षेत्र के रिटर्निंग ऑफिसरों के यहां पेटी में डाल सकते हैं। काउंटिंग होने से पहले तक डाक मतपत्र पेटी में पड़ गया है तो वो मान्य किया जाएगा।