सीएम ने जताई थी नराजगी
सीएम कमलनाथ ने अघोषित कटौती पर नाराजगी जताते हुए कहा था कि अघोषित कटौती होने की स्थिति में संबंधित अफसरों की जवाबदेही तय होगी। इसके अलावा कलेक्टर भी उनके निशाने पर आ गए हैं, क्योंकि कमलनाथ ने सभी कलेक्टरों से कटौती करने की स्थिति में लिखित में कारण सहित जानकारी भेजने के लिए कहा था, लेकिन एक भी कलेक्टर ने इसकी जानकारी नहीं भेजी। मुख्यमंत्री कमलनाथ ने प्रदेश में अघोषित बिजली कटौती पर ऊर्जा विभाग के प्रमुख सचिव और तीनों विद्युत वितरण कंपनियों के एमडी को तलब किया था। छिंदवाड़ा में सीएम कमलनाथ की एक चुनावी सभा के दौरान भी बिजली कट गई थी।
मध्य प्रदेश कांग्रेस के मीडिया समन्वयक नरेन्द्र सलूजा ने कहा था कि मुख्यमंत्री ने बिजली कम्पनियों से इस बात का भी जवाब मांगा है कि जब प्रदेश में बिजली सरप्लस में उपलब्ध है तब कटौती की शिकायतें क्यों आ रही हैं। कमलनाथ ने यह भी कहा कि इस बात का भी पता लगाया जाये कि चुनाव के समय ही कटौती की शिकायतों क्यों आ रही है? क्या इसके पीछे कुछ साज़िश-षड्यंत्र तो नहीं है? उपभोक्ताओं को 24 घंटे और कृषि कार्य के लिए हर हाल में 10 घंटे बिजली आपूर्ति सुनिश्चित किया जाए। इसमें किसी प्रकार की शिकायत और लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जायेगी।
कांग्रेस की बैठक में बिजली की हुई थी कटौती
कांग्रेस की चुनावी बैठक में बिजली गुल होना नेताओं को इतना अखरा कि कुछ ही घंटों में बिजली कंपनी के इंजीनियर निलंबित कर दिए गए। इंदौर में 91 दैनिक वेतनभोगी कर्मचारियों को घर बैठा दिया गया नेताओं को लगा कि बिजली कर्मचारी सरप्लस करने के बाद भी सरकार को बदनाम करने के लिए जानबूझकर बिजली गुल कर रहे हैं। कार्रवाई के ख़िलाफ़ इंजीनियर्स ने भी विरोध में मोर्चा दिया। दरअसल, गांधी भवन में सुबह दोपहर कांग्रेस की चुनावी बैठक थी इसमें प्रदेश के 2 मंत्री जीतू पटवारी और सज्जन सिंह वर्मा भी मौजूद थे मीटिंग में बिजली गुल हो जाने पर जिला कांग्रेस अध्यक्ष साधा शिव यादव ने आपत्ति लेते हुए कहा कि कुछ कर्मचारी सरकार को बदनाम करने के लिए जानबूझकर कटौती कर रहे हैं यदि प्रदेश में बिजली सरप्लस है तो कटौती यदि प्रदेश में बिजली सरप्लस है तो कटौती की क्या आवश्यकता इतना सुनते ही मंत्री पटवारी ने प्रशासनिक और बिजली कंपनी के अफ़सरों को फ़ोन लगाएँ उनसे कटौती का कारण पूछा तो दोनों ही संतोषप्रद जवाब नहीं दे पाए।