धार-बड़वानी में तो आबादी 9.5 लाख से भी अधिक है। सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइन के अनुसार आरक्षण 50% से अधिक नहीं होगा। एससी-एसटी की संख्या कम होने की स्थिति में भी ओबीसी को 35% से अधिक आरक्षण नहीं दिया जा सकेगा।
जनगणना 2011 के अनुसार वैसे भी प्रदेश में एससी-एसटी की जनसंख्या 4.87 करोड़ से अधिक है, जबकि प्रदेश में कुल जनसंख्या 7.26 करोड़ से अधिक है। अब ओबीसी को आरक्षण का फायदा सिर्फ 2.38 करोड़ में ही मिलना है।
इससे ओबीसी को ज्यादा आरक्षण का लाभ मिलने की संभावना कम है। इधर, ओबीसी को आरक्षण का लाभ उनके वार्ड में जनसंख्या के आधार पर तय किया जाना है। सरकार सभी तरह के गुणा-भाग को अपनाते हुए निकाय और पंचायतों में 25 मई से पहले आरक्षण कर रिपोर्ट आयोग को सौंप देगी। मतदाता सूची 2022 के अनुसार प्रदेश में 5.58 करोड़ से अधिक वोटर हैं।
35% से अधिक आरक्षण नहीं
ओबीसी को फायदा सिर्फ भोपाल, इंदौर, जबलपुर और ग्वालियर में मिल सकता है, क्योंकि यहां 2% ही एससी-एसटी आबादी है, लेकिन इन जिलों में भी सरकार 35% से अधिक ओबीसी आरक्षण नहीं दे पाएगी। आरक्षण की व्यवस्था भी रोटेशन में किया जाना है। यानी जिन वार्डों में पहले ओबीसी की सीटें तय थीं, वहां इस वर्ष ओबीसी के लिए सीटें नहीं रखी जाएगी। जिन जिलों में ओबीसी को आरक्षण मिलेगा, वहां उनकी कुल जनसंख्या के पचास फीसदी से अधिक नहीं हो पाएगा।
शिवपुरी, सतना, रीवा, उमरिया, रतलाम, धार, खंडवा, बड़वानी, बैतूल, कटनी, जबलपुर, मंडला, छिंदवाड़ा, सिवनी, बालाघाट, शहडोल, अनूपपुर, सीधी, सिंगरौली, झाबुआ, अलीराजपुर और खंडवा। भोपाल, इंदौर में एससी-एसटी सिर्फ दो प्रतिशत, ओबीसी को ज्यादा फायदा
धार : 2185793 : 1222814 बड़वानी : 1385881 : 962745 झाबुआ : 1025048 : 891818 छिंदवाड़ा : 2090922 : 769778 खंडवा : 1873046 : 730169
भिंड, नीमच, शाजापुर, मुरैना, दतिया, मंदसौर में एससी-एसटी की जनसंख्या 36 हजार से कम है।