इसके साथ ही सीहोर की वीरपुर रेंज और आसपास के गांव तो रायसेन के 12 गांवों को मिलाकर बनाई जाएगी। इसके पीछे अफसरों का तर्क है कि बाघ विचरण वाले जंगल के तीन अलग-अलग जिलों में होने से पर्याप्त मॉनीटरिंग नही हो पाती है। कई बार को-ऑर्डिनेशन की कमी के कारण गंभीर खामियां भी सामने आई हैं। ऐसे में यह जरूरी है कि इसके लिए डेडिकेटेड अमला तैनात हो।
10 साल के लिए योजना की तैयार
राजधानी में वनों और वन्य प्राणियों की सुरक्षा के लिए विभाग ने दस वर्षीय योजना तैयार की है। वर्ष 2017-18 से लेकर 2026-27 तक के लिए तय की गई इस योजना को वन एवं वन्य प्राणी प्रबंधन नाम दिया गया है। इस योजना के तहत भोपाल वन मंडल के जंगल और वन वन्य जीवों की सुरक्षा एवं उनकी वृद्धि कैसे की जाए, इससे संबंधित योजनाएं शामिल की गई हैं।
18 बाघों की मौजूदगी
राजधानी और आसपास के क्षेत्रों में 18 बाघ घूम रहे हैं। इनमें से कलियासोत केरवा में चार और कठौतिया के जंगलों में छह बाघों की उपस्थिति दर्ज की जा रही है।
वन बल प्रमुख ने दी सहमति
प्रस्तावित नई रेंज के निर्माण और इसमें रेंजर की तैनाती के लिए पीसीसीएफ वन एवं वन बल प्रमुख ने सहमति प्रदान कर दी है। शासन से अनुमति मिलते ही इस पर काम शुरू कर दिया जाएगा।
बाघों की सुरक्षा के लिए सीहोर, रायसेन और भोपाल के 200 वर्ग किमी जंगल की रेंज तैयार की जा रही है। बाघों की मॉनीटरिंग के लिए रेंजर और अलग से वन अमला भी तैनात होगा।
– एसपी तिवारी, सीसीएफ, भोपाल वन मंडल