इसके लिए उन्हें आवास बनाने की अनुमति नगरीय निकायों और पंचायतों से लेना पड़ेगा। इसके अलावा उन्हें पांचायतों और नगरीय निकायों से यह लिखा कर खनिज विभाग को देना पड़ेगा, उनको आवास बनाने के लिए कितने क्युविक भीटर रेत की जरूरत पड़ेगी।
एसटी- एससी खदानों पर पहले रेत की रायल्टी जमा करके उसकी रसीद लेंगे। अपने बैंक एकाउंट और पंचायत की अनुमति के बाद रसीद खनिज विभाग के जिला कार्यलय में जमा करेंगे इसके बाद उन्हें उक्त राशि वापस लौटाई जाएगी।
खदान से घर तक रेत परिवहन की राशि इस वर्ग के लोगों को खुद देना पड़ेगा। इसी तरह से कुम्हार को भी उनके कारोबार के लिए मुफ्त में रेत दी जाएगी। इसके अलावा सरकार ने प्रधानमंत्री आवास में बनने वाले आवासों के लिए भी रेत मुक्त में देगी।
खनिज साधन विभाग ने इस नीति को वित्त विभाग तथा विधि विभाग को परीक्षण के लिए भेजा है। दोनों विभागों की अनुमति के बाद इस पर अमली जामा पहनाया जा सकेगा।
125 रुपए प्रति क्युविक मीटर रायल्टी
नई रेत नीति में सरकार ने 125 रुपए प्रति क्युविक मीटर रायल्टी वसूलने का निर्णय लिया है। एक डम्पर में करीब चार से पांच क्युविक मीटर रेत परिवहन की जाती है। एक ईब्ल्यूएस और प्रधानमंत्री आवास में ढाई से तीन डम्पर रेत लगती है।
इसके चलते करीब दो हजार रुपए प्रत्येक एसटीएसटी को आवास बनाने में कम लागत आएगी। अगर ये गांव में खुद माकान बनाते हैं तो उन्हें करीब 5-6 डम्पर रेत में उनका आवास बनकर तैयार हो जाएगा। इसके चलते करीब 4 हजार रुपए की रेत उन्हें मुक्त में मिल जाएगी।
पंचायत और निकायो को मिलेगी मुफ्त में रेत
पंचायतों को उनके विकास कार्यों के लिए रेत मुफ्त में मिलेगी। इसमें प्रधानमंत्री आवास योजना और शौचालय निर्माण भी शामिल है। प्रत्येक वर्ष प्रदेश में शहरी क्षेत्रों में करीब 60 हजार आवास प्रधानमंत्री आवास के तहत बनाए जाते हैं।
इसमें सबसे ज्यादा प्रधानमंत्री आवास शहरी क्षेत्रों में बनाए जाते हैं। एक प्रधानमंत्री आवास बनाने में करीब दो से तीन डम्पर रेत लगती है। यानी की कि एक आवास में करीब 14-15 क्युविक मीटर रेत लेगी।