स्कूलों की सुरक्षा की स्थिति जानने के लिए पत्रिका ने पड़ताल की तो पता चला कि विभाग में उच्चतर-माध्यमिक शालाओं में तो अग्निशमन यंत्र लगे हैं, लेकिन लेकिन प्राथमिक माध्यमिक विद्यालयों में इनका अता-पता ही नहीं है जिसके चलते नौनिहाल खतरे में है।
पूछे गए यह सवाल- शिक्षा विभाग के निर्देश पर जिला शिक्षा अधिकारी ने विभाग की ओर से मंगाई गई जानकारी को सुंकुल स्तर पर जुटाकर भेजने के निर्देश दिए हैं। जानकारी में निम्न प्रश्न पूछे गए हैं- – संकुल अंतर्गत शालाओं की संख्या जहां अग्निशमन यंत्र स्थापित किए हैं? – संकुल अंतर्गत शालाओं की संख्या जहां ज्वलनशील एवं जहरीले हानिकारकर पदार्थों के रखरखाव के सुरक्षा मापदण्डों का पालन किया जा रहा है?
– संकुल अंतर्गत शालाओं की संख्या जिनके भवन स्थानीय प्राधिकरण द्वारा भवन निर्धारित मापदण्डों सम्बंधी उप नियमों के अनुरूप हैं? – संकुल अंतर्गत शालाओं की संख्या जहां शिक्षकों एवं विद्यार्थियों को शाला सुरक्षा एवं तत्पर आपदा प्रबंधन के लिए नियमित प्रशिक्षण दिया जाता है? – संकुल अंतर्गत शालाओं की संख्या जहां आपदा प्रबंधन को पाठ्यक्रम में शामिल कर पढ़ाया जाता है?
जहां ज्यादा जरूरत वहां अग्निसुरक्षा के उपाय ही नहीं विभाग की ओर से मांगी गई जानकारी के आधार पर पत्रिका ने पड़ताल की तो आपदा प्रबंधन के मामले में सरकारी स्कूलों की स्थिति बेहद कमजोर निकली। पत्रिका ने प्राथमिक-माध्यमिक शाला बागसेवनिया, प्राथमिक माध्यमिक शाला रविशंकर नगर एवं शासकीय उच्चतर माध्यमिक शाला बावडि़या कला में स्थिति का जायजा लिया।
बावडिया कला को छोड़कर दोनों शालाओं में न तो अग्निशमन यंत्र था न ही विद्यार्थियों को आपदा प्रबंधन की ही कोई ट्रेनिंग ही दी गई थी। जबकि बड़ी कक्षाओं के मुकाबले छोटे विद्यार्थी कम सतर्क और कम सक्षम होते हैं, जिनके एेसे हादसों में फंसने आशंका ज्यादा रहती है, लेकिन प्राथमिक-माध्यमिक स्कूलों में सुरक्षा के लचर उपाय होने से तैयारी के स्तर को समझा जा सकता है।
‘विभाग ने स्कूलों की सुरक्षा का स्तर जांचने के लिए रिपोर्ट मंगाई है, यह हर साल की जाने वाली कवायद है, जिसके आधार पर सुधार किया जाएगा। अभी उच्चतर शालाओं में अग्निशमन यंत्र रखने के निर्देश हैं, प्राथमिक एवं माध्यमिक शालाओं में अभी इसकी व्यवस्था के निर्देश नहीं है। शासन के निर्देशानुसार व्यवस्था की जाती है। धमेन्द्र शर्मा, जिला शिक्षा अधिकारी