एनजीटी में सोमवार को डॉ सुभाष सी पांडे की भानपुर खंती के साइंटिफिक क्लोजर संबंधी याचिका पर सुनवाई हुई। इस दौरान मप्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की ओर से रिपोर्ट पेश की गई। इसमें बताया गया कि एनजीटी के निर्देशानुसार बोर्ड की टीम ने भानपुर खंती का निरीक्षण किया। वहां पर बायो रेमेडिएशन का काम लगभग पूरा हो गया है। साइंटिफिक क्लोजर का काम पूरा होने वाला है। अभी लीचेट कलेक्शन सिस्टम और लीचेट ट्रीटमेंट का 25 से 50 प्रतिशत तक काम बचा हुआ है। पीसीबी की ओर से खंती के आसपास भूजल और वायु गुणवत्ता की रिपोर्ट भी पेश की गई। इसमें बताया गया कि 6 जगह से सेंपल लिए गए उनमें से 5 जगह का पानी पीने योग्य नहीं पाया गया। इसके बाद डॉ सुभाष पांडे ने कहा कि अभी लीचेट ट्रीटमेंट का काम नहीं हुआ है जबकि यही सबसे खतरनाक है। क्योंकि सालों से जमे पूरे कचरे का सार तत्व तरल के रूप में जमीन के नीचे लीचेट के रूप में जमा होता है। इसके साथ खंती वाली जमीन के नीचे गैसों के भंडार भी बन जाते हैं। इनका भी कुछ नहीं किया गया। उन्होंने कहा कि नगर निगम यहां पर आवासीय कॉलोनी बनाने जा रहा है। जबकि यह बहुत खतरनाक हो सकता है। क्योंकि नीचे से कभी भी गैसों का रिसाव हो सकता है और विस्फोट तक हो सकता है। ऐसे में यहां रहने वालों को भी नुकसान हो सकता है। उन्होंने एनजीटी से ऐसी खतरनाक जगह पर तब तक आवास बनाने पर रोक लगाने की मांग की तब तक कि वहां जमीन के अंदर मौजूद लीचेट और गैसों का पूरी तरह निष्तारण नहीं हो जाता है। इसके बाद ट्रिब्यूनल ने मामले को दिखवाने की बात कही। हालांकि सोमवार को इस संबंध में आदेश जारी नहीं किया गया है।