एनजीटी सेंट्रल जोन बेंच ने रिटायर्ड मेजर जनरल हरप्रीत सिंह बेदी की याचिका पर ऑनलाइन सुनवाई करते हुए यह निर्देश दिए। गठित समिति में केन्द्रीय पर्यावरण एवं वन मंत्रालय , सीपीसीबी, एमपी स्टेट एनवायरमेंटल इंपेक्ट असेसमेंट अथॉरिटी और एमपीपीसीबी के एक-एक प्रतिनिधि को शामिल किया गया था। समिति ने प्रोजेक्ट की लागत और जमीन की कीमत का 10 फीसदी के हिसाब से 17 करोड़ 16 लाख पर्यावरण क्षति हर्जाना आकलित किया है। समिति की जांच में यह भी सामने आया है कि द्वारकाधीश हवेली बिल्डर ने न तो पीसीबी से कंसेंट ली है और न सिया से पर्यावरणीय अनुमति ली है। बिना अनुमतियों के निर्माण कर दिया। पीसीबी ने भी बताया कि जिला मजिस्ट्रेट कोर्ट में बिल्डर के खिलाफ प्रकरण दर्ज कराया जा चुका है। इसके पहले 30 लाख रूपए का जुर्माना लगाया गया था लेकिन वह भी बिल्डर ने जमा नहीं किया। बिल्डर ने भी उपस्थित होकर सुनवाई के दौरान बताया कि एसटीपी का कुछ काम हो चुका है और कुछ बाकी है। इसके साथ साफ पेयजल उपलब्ध कराने के लिए नगर निगम से नर्मदा का कनेक्शन लिया जा रहा है। यह काम पूरा होने में थोड़ा समय लगेगा। सुनवाई के दौरान रिटायर्ड मेजर जनरल हरप्रीत सिंह बेदी ने भी इसकी पुष्टि की कि कुछ काम हो गया है। इसके बाद एनजीटी ने आदेश का पालन करने के लिए एक माह का समय दिया है।