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भोपाल

एनएलआइयू में होंगे 3 डीन, कोर्स भी घटाकर करेंगे 60

शैक्षणिक गुणवत्ता बढ़ाने की कवायद

भोपालJun 06, 2018 / 09:17 am

Pushpam Kumar

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एनएलआइयू में होंगे 3 डीन, कोर्स भी घटाकर करेंगे 60

भोपाल. लगातार विवादों में चल रहे राष्ट्रीय स्तर के संस्थान नेशनल लॉ इंस्टीट्यूट यूनिवर्सिटी (एनएलआइयू) ने शैक्षणिक और प्रशासनिक गुणवत्ता बढ़ाने के लिए संस्थान में पाठ्यक्रम से लेकर प्रशासनिक व्यवस्था तक में भारी बदलाव करने का निर्णय लिया है।

इसके लिए दो जून को संस्थान में पहली बार इंटर्नल क्वालिटी एश्योरेंस सेल (आइक्यूएसी) की बैठक आयोजित की गई। बैठक की अध्यक्षता संस्थान के नवनियुक्त डायरेक्टर प्रो. वी विजय कुमार ने की, जिसमें वर्तमान में संचालित पाठ्यक्रमों को कम करने, बेहतर प्रबंधन के लिए डीन की नियुक्ति करने, क्वालिटी एजुकेशन के लिए एलुमिनी और संस्थान के शोध करने वाले छात्रों से अध्यापन कराने जैसे मुद्दों पर चर्चा की गई। इसमें से कई में सहमति भी बनी।

एनएलआइयू में विभिन्न प्रकार के डिप्लोमा, डिग्री वाले लगभग78 पाठ्यक्रम वर्तमान में संचालित हैं। आइक्यूएसी की बैठक में इन पाठ्यक्रमों को मर्ज कर एवं कम करके 60 करने का प्रस्ताव रखा गया है।अभी एेसे कई पाठ्यक्रम हैं, जो एक-दूसरे से मिलते-जुलते हैं।

फाइव डे वर्किंग कल्चर भी यहां करेंगे शुरू : संस्थान की प्रशासनिक व्यवस्था के लिए पहली बार तीन डीन के पद निर्मित किए जाएंगे। इसमें पहला डीन अंडरग्रेजुएट पाठ्यक्रमों के लिए, दूसरा डीन पोस्ट ग्रेजुएड पाठ्यक्रमों के लिए और तीसरा डीन डिस्टेंस पाठ्यक्रमों के लिए होगा। हालांकि डिस्टेंस डीन के पद के एवं पाठ्यक्रम लिए संस्थान को एकेडमिक काउंसिल से अनुमति लेनी होगी। इसके साथ ही संस्थान में फाइव डे वर्किंग का भी कल्चर शुरू किया जाएगा।

स्टूडें्स और फैकल्टी का होगा बीमा: संस्थान ने यहां पर पढऩे वाले स्टूडेंट्स और फैकल्टी का बीमा कराने का भी प्रस्ताव तैयार किया है। इसमें निर्णय लिया गया कि केंद्र सरकार द्वारा चलाई जा रही विभिन्न योजनाओं के तहत छात्रों का ग्रुप इंश्योरेंश कराया जाए। इसी तरह फैकल्टी का भी इंश्योरेंश हो। इसके अलावा डिजिटलाइजेशन के तहत पेपर वर्क को कम करने एवं संस्थान के भवनों, हॉस्टल आदि को रंग रोंगन का भी निर्णय लिया गया।

छात्रों का होगा सतत मूल्यांकन: बैठक में इस बात का भी निर्णय लिया गया है विद्यार्थियों का मिड टर्म मूल्यांकन न करके उनका सतत मूल्यांकन किया जाए। सतत मूल्यांकन के तहत विद्यार्थियों को किसी प्रश्नपत्र के कुल अंक में से आधे अंक थ्योरी के होंगे और आधे अंक प्रायोगिककार्यों के दिए जाएंगे। प्रायोगिक कार्यों के तहत प्रोजेक्ट निर्माण, फाइल वर्क और विभिन्न गतिविधियों को शामिल किया गया है। यह व्यवस्था वर्तमान सत्र से लागू की जाएगी। पूर्व के छात्र प्रभावित नहीं होंगे।

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