scriptन खाना, न पैसा 350 किमी सफर के लिए पैदल निकल गए 120 मजदूर,पुलिस ने देखा फिर किया ये,देखें वीडियो | No food, no money, 120 workers walked on foot to travel 350 km | Patrika News
भोपाल

न खाना, न पैसा 350 किमी सफर के लिए पैदल निकल गए 120 मजदूर,पुलिस ने देखा फिर किया ये,देखें वीडियो

शुक्रवार की रात सभी 120 से भी अधिक मजदूर महिलाओं और बच्चों के साथ पैदल ही अपने घर के लिए निकले थे

भोपालMar 28, 2020 / 11:54 am

Amit Mishra

न खाना, न पैसा 350 किमी सफर के लिए पैदल निकल गए 120 मजदूर,पुलिस ने देखा फिर किया ये

न खाना, न पैसा 350 किमी सफर के लिए पैदल निकल गए 120 मजदूर,पुलिस ने देखा फिर किया ये

भोपाल। कोरोना वायरस के कारण देश में अचानक 21 दिनों तक लॉक डाउन लागू कर दिया गया। ऐेसे में दूसरे जिलों से भोपाल में काम करने वाले मजदूरों के सामने बड़ा सकट खड़ा हो गया। रोजाना दिहाडी करके अपना जीवन यापन करने वाले इन मजदूरों के पास न तो पैसे और न ही अपने घर जाने के लिए कोई साधन, ऐसे में इन मजदूरों में मजबूरी में अपने गांव पैदल जाने की ठान ली और भोपाल से 350 से 500 किमी का सफर शुरू कर दिया।

कुछ मजदूर छिंदवाड़ा जिले के भी
शुक्रवार की रात सभी 120 से भी अधिक मजदूर महिलाओं और बच्चों के साथ पैदल ही अपने घर के लिए निकले थे। सभी मजदूर रायसेन जिले के बाड़ी पहुंचे तब प्रशासन को जानकारी मिली। प्रशासन ने तत्काल सभी मजदूरों को बाड़ी से बरेली लाया। जहां सभी मजदूरों को भोजन कराने के बाद बसों से उनके घरों के लिए रवाना किया गया।इसमेें से कुछ मजदूर छिंदवाड़ा जिले के भी है जो पैदल अपने घर जा रहे थे।

न तो पैसे बचे थे और न ही रहने के लिए जगह
भोपाल में अलग-अलग फैक्ट्रियों में काम करने वाले छिंदवाड़ा और सिवनी जिला के लगभग 120 से भी अधिक मजदूर महिलाओं और बच्चों के साथ पैदल ही अपने घर के लिए निकले थे। मजदूरों ने बताया कि वे मंगलवार की शाम भोेपाल से चले थे और शुक्रवार की रात रायसेन जिले के बाडी पहुंचे। मजदूरों ने बताया कि लॉक डाउन लागू होने से पूरे शहर की फैक्ट्रियों में और शहर में हो रहे निर्माण कार्य बंद हो जाने से न तो उनके पास पैसे बचे थे और न ही रहने के लिए जगह।

 

जहां काम करते है वहीं करते है गुजारा
मजदूरों ने बताया कि हम लोग जहां काम करते है वही काम खत्म होने के बाद गुजारा करते है। ,लेकिन काम बंद होने के कारण रहने के लिए तक जगह नहीं मिल रही। इस लिए हम लोग अपने गांव जाने का फैसला किया।

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