प्रदेश के सबसे बड़े सड़क प्रोजेक्ट नर्मदा एक्सप्रेस वे की शुरूआत नर्मदा के उद्गम स्थल मध्यप्रदेश-छत्तीसगढ़ की सीमा पर स्थित अमरकंटक से होनी है और यह प्रदेश के दूसरे हिस्सों से गुजरकर गुजरात के अंकलेश्वर तक जाएगा। इस प्रोजेक्ट को चार साल पहले केंद्र सरकार के महत्वाकांक्षी भारतमाल प्रोजेक्ट में शामिल किया गया था। लेकिन तत्कालीन भाजपा सरकार लगातार टालमटोल करती रही। चार साल में केवल सर्वे और डीपीआर तक ही प्रोजेक्ट सीमित रहा। अब सरकार बदलने के बाद धन की कमी का रोना है। करीब साढ़े बारह सौ किलोमीटर लंबे इस सड़क मार्ग के लिए जमीन का अधिग्रहण सबसे अधिक चुनौतीपूर्ण काम है। ऐसा ही चंबल एक्सप्रेस वे के साथ भी है।
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औद्योगिक हब बनाने का भी है प्रस्ताव
दोनों एक्सप्रेस-वे से मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, राजस्थान, गुजरात और उत्तर प्रदेश को सीधे जोडऩे का योजना है। इस वे के बीच-बीच में औद्योगिक हब भी बनाए जाने हैं। केन्द्र ने राज्य सरकार से इन दोनों प्रोजेक्टों को मंजूरी देने से पहले भूमि अधिग्रहण करने के लिए कहा है। केन्द्र ने साफ तौर पर कहा है कि ये दोनों परियोजनाएं भारतमाला के तहत स्वीकृत की गई हैं, इसमें भूमि अधिग्रहण राज्य सरकार को करना है और उसकी राशि भी उन्हें देना पड़ेगा। केन्द्र के इस जवाब से मध्य प्रदेश रोड डवलपमेंट कारपोरेशन के अधिकारी इसे फाइल करने की तैयारी में हैं। बताया गया है कि दोनों एक्सप्रेस वे के प्री-फिजिबिल्टी सर्वे, डीपीआर तैयार करने का काम 2018 तक पूर्ण कर लिए गए थे। उक्त कार्यों के लिए सरकार 20 करोड़ रूपए से ज्यादा खर्च भी कर चुकी है।
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नर्मदा एक्सप्रेस-वे का यहां से हुआ था सर्वे–
एक्सप्रेस वे नर्मदा नदी के उद्गम स्थल अमरकंटक से शुरू होकर है, जो करीब साढे १२०० किलोमीटर का है। यह एक्सप्रेस-वे अमरकंटक से डिंडोरी, मण्डला,जबलपुर, नरसिंहपुर, करेली, पिपरिया, सोहागपुर, होशंगाबाद, बुदनी, नसरूल्लागंज, खातेगांव, हरदा, खंडवा, मूंदी, पूनासा, सनावद, बड़वाह, महेश्वर,धामनोद, खलघाट, ठीकरी, अंजड़, बड़वानी, कुक्षी, छोटा उदयपुर, डबोही, राजपिपला होकर अंकलेश्वर तक। इस हाइवे से मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और गुजरात को जोडऩे का प्रस्ताव था।
प्रदेश के सबसे बड़े सड़क प्रोजेक्ट नर्मदा एक्सप्रेस वे की शुरूआत नर्मदा के उद्गम स्थल मध्यप्रदेश-छत्तीसगढ़ की सीमा पर स्थित अमरकंटक से होनी है और यह प्रदेश के दूसरे हिस्सों से गुजरकर गुजरात के अंकलेश्वर तक जाएगा।
इस प्रोजेक्ट को चार साल पहले केंद्र सरकार के महत्वाकांक्षी भारतमाल प्रोजेक्ट में शामिल किया गया था। लेकिन तत्कालीन भाजपा सरकार लगातार टालमटोल करती रही। चार साल में केवल सर्वे और डीपीआर तक ही प्रोजेक्ट सीमित रहा। अब सरकार बदलने के बाद धन की कमी का रोना है। करीब साढ़े बारह सौ किलोमीटर लंबे इस सड़क मार्ग के लिए जमीन का अधिग्रहण सबसे अधिक चुनौतीपूर्ण काम है। ऐसा ही चंबल एक्सप्रेस वे के साथ भी है।
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औद्योगिक हब बनाने का भी है प्रस्ताव
दोनों एक्सप्रेस-वे से मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, राजस्थान, गुजरात और उत्तर प्रदेश को सीधे जोडऩे का योजना है। इस वे के बीच-बीच में औद्योगिक हब भी बनाए जाने हैं।
केन्द्र ने राज्य सरकार से इन दोनों प्रोजेक्टों को मंजूरी देने से पहले भूमि अधिग्रहण करने के लिए कहा है। केन्द्र ने साफ तौर पर कहा है कि ये दोनों परियोजनाएं भारतमाला के तहत स्वीकृत की गई हैं, इसमें भूमि अधिग्रहण राज्य सरकार को करना है और उसकी राशि भी उन्हें देना पड़ेगा।
केन्द्र के इस जवाब से मध्य प्रदेश रोड डवलपमेंट कारपोरेशन के अधिकारी इसे फाइल करने की तैयारी में हैं। बताया गया है कि दोनों एक्सप्रेस वे के प्री-फिजिबिल्टी सर्वे, डीपीआर तैयार करने का काम 2018 तक पूर्ण कर लिए गए थे। उक्त कार्यों के लिए सरकार 20 करोड़ रूपए से ज्यादा खर्च भी कर चुकी है।
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नर्मदा एक्सप्रेस-वे का यहां से हुआ था सर्वे–
एक्सप्रेस वे नर्मदा नदी के उद्गम स्थल अमरकंटक से शुरू होकर है, जो करीब साढे १२०० किलोमीटर का है। यह एक्सप्रेस-वे अमरकंटक से डिंडोरी, मण्डला,जबलपुर, नरसिंहपुर, करेली, पिपरिया, सोहागपुर, होशंगाबाद, बुदनी, नसरूल्लागंज, खातेगांव, हरदा, खंडवा, मूंदी, पूनासा, सनावद, बड़वाह, महेश्वर,धामनोद, खलघाट, ठीकरी, अंजड़, बड़वानी, कुक्षी, छोटा उदयपुर, डबोही, राजपिपला होकर अंकलेश्वर तक। इस हाइवे से मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और गुजरात को जोडऩे का प्रस्ताव था।