scriptएक बार नकारा तो दोबारा मौका नहीं देते हैं यहां के मतदाता | Once rejected, do not give chance again, voters here | Patrika News
भोपाल

एक बार नकारा तो दोबारा मौका नहीं देते हैं यहां के मतदाता

मैदान छोडऩे वालों को भी मौका नहीं

भोपालApr 02, 2019 / 10:10 pm

दीपेश अवस्थी

पंचायतीराज चुनाव

पंचायतीराज चुनाव

भोपाल। मतदाताओं का मूड भांपना आसान नहीं है। जिसे पसंद किया उसे कई बार जिताकर सदन तक पहुंचाया और जिसे एक बार नकार दिया तो फिर उसे दोबारा मौका नहीं दिया। इनमें खजुराहो, दमोह, टीकमगढ़ और भिण्ड लोकसभा क्षेत्र प्रमुख हैं। जबकि इसके विपरीत ऐसे लोकसभा क्षेत्रों की संख्या अधिक है जहां के मतदाता लगातार मौका देते रहे। इसमें प्रदेश के कई चर्चित लोकसभा क्षेत्र भी शामिल हैं।
किस लोकसभा में क्या स्थिति –
खजुराहो –

यहां से रामसही, लक्ष्मीनारायण नायक, विद्यावति चतुर्वेदी, उमा भारती, सत्यव्रत चतुर्वेदी, रामकृष्ण कुसमरिया, जीतेन्द्र सिंह बुंदेला, नागेन्द्र सिंह सांसद रहे हैं। उमाभारती, रामसही, विद्यावति चतुर्वेदी तो यहां लगातार एक से अधिक बार सांसद रहीं हैं, लेकिन यदि कोई उम्मीदवार चुनाव हारा या मैदान छोड़ा तो उसे दोबारा मौका नहीं दिया।
—–
दमोह –
पिछले ५२ साल में यहां १३ बार लोकसभा चुनाव हुए। डॉ. राम कृष्ण कुसमरिया तो यहां से चार बार चुनाव जीते। कुसमरिया को छोड़ कर यहां से अन्य कोई नेता दूसरी बार जीत नहीं पाया। मतदाताओं ने हर बार नए चेहरे को चुना।
—-
टीकमगढ़ –

पिछले दो बार से भाजपा के वीरेन्द्र कुमार यहां के लगातार सांसद हैं। इसके पहले नाथूराम अहिरवार भी इस क्षेत्र से दो बार सांसद रह चुके हैं। इसके अलावा अन्य कोई यहां से लगातार सांसद नहीं चुना गया।
—-
भिण्ड –
यहां के मतदाताओं जिस सांसद से एक बार नजरें फेरीं तो उसे दोबारा चुनकर संसद तक नहीं पहुंचाया। वर्तमान में भागीरथ प्रसाद यहां के सांसद हैं। यहां अब तक हुए १४ लोकसभा चुनाव में केवल राम लखन सिंह अकेले नेता रहे, जिन्हें मतदाताओं ने लगातार चार बार सांसद चुना।
———–

इन प्रमुख सीटों पर दोबारा किया भरोसा –

प्रदेश की राजगढ़, सीधी, रीवा, सागर, मण्डला, बालाघाट, होशंगाबाद मंदसौर लोकसभा सीट ऐसी हैं जहां के मतदाताओं ने लगातार भरोसा किया। सर्वाधिक चर्चित सीट राजगढ़ से दिग्विजय ङ्क्षसह १९८४ में सांसद चुने गए। १९८९ के चुनाव में भाजपा के प्यारेलाल खण्डेवाल सांसद बने। १९९१ में फिर दिग्विजय सिंह यहां से सांसद चुने गए। इनके भाई लक्ष्मण सिंह पहले यहां कांग्रेस और फिर भाजपा से सांसद रहे हैं। बालाघाट की बात करें तो गौरीशंकर बिसेन को यहां के मतदाताओं ने पहली बार १९९८ में सांसद चुना, १९९९ के चुनाव में प्रहलाद पटेल यहां से सांसद चुने गए। वर्ष २००४ में हुए लोकसभा चुनाव में फिर से मतदाताओं ने बिसेन को सांसद चुना। सीधी से वर्ष १९८० और १९८४ के चुनाव में कांग्रेस के मोतीलाल सिंह को यहां के मतदाताओं ने सांसद चुना। १९८९ में भाजपा के जगन्नाथ सिंह सांसद बने। इसके बाद मतदाताओं ने फिर से कांग्रेस के मोतीलाल सिंह को मौका दिया। रीवा से महाराज मर्तण्य सिंह, यमुना प्रसाद शास्त्री, सागर लोकसभा की सहोदरा बाई, मण्डला के फग्गन सिंह कुलस्ते, मंदसौर के लक्ष्मीनारायण पाण्डेय और होशंगाबाद के हरि विष्णु कामथ भी इसी श्रेणी में आते हैं।

Home / Bhopal / एक बार नकारा तो दोबारा मौका नहीं देते हैं यहां के मतदाता

loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो