पुजारियों का मानदेय बढ़ाया तो मंदिरों की आय बढ़ाने पर भी विचार हुआ। सरकार ने धर्मस्व को बदलकर अध्यात्म विभाग बना दिया। इस विभाग में धर्म के साथ आनंद विभाग और मेला प्राधिकरण के सभी दायित्व शामिल हो गए। नदी न्यास के जरिए नर्मदा,शिप्रा,मंदाकिनी जैसी धार्मिक और प्रमुख नदियों संरक्षण और संवर्धन की बात हुई। इस न्यास की बागडोर भी संत समाज के हाथों में दी गई।
– गौशाला के जरिए गौसेवा :
कांग्रेस ने अपने वचन पत्र में हर पंचायत में गौशाला बनाने का वचन दिया। सरकार बनते ही पहले चरण में एक हजार गौशाला बनाने का फैसला लिया गया। इन एक हजार गौशालाओं में दस हजार गायों के व्यवस्था करने की योजना बनाई गई। एक गौशाला में सौ गायों को रखने का इंतजाम होगा। फंड की कमी से जूझ रही सरकार ने इनका निर्माण मनरेगा और सीएसआर फंड से करने का फैसला लिया। सरकार का दावा है कि नए साल में गौशालाएं शुरु हो जाएंगी और बेसहारा गायों को आशियाना मिल जाएगा। सरकार ने गौशलााओं के लिए निजी क्षेत्र को भी आमंत्रित किया है। बिड़ला समूह ने सौ गौशालाएं बनाने का वादा किया है तो दिल्ली की एक कंपनी ने अत्याधुनिक गौशाला बनाने के लिए सरकार से जमीन मांगी है।
महाकाल,ओमकारेश्वर मंदिर का कायाकल्प :
कमलनाथ सरकार ने मंदिरों के कायाकल्प पर भी फोकस किया। बारह ज्योतिर्लिंग में प्रमुख उज्जैन के भगवान महाकाल के मंदिर को संवारने के लिए सरकार 300 करोड़ खर्च कर रही है। प्रथम चरण में मंदिर में प्रवेश और निर्गम, फ्रंटीयर यार्ड, नंदीगृह का विस्तार, महाकाल थीम पार्क, कॉरिडोर, वर्केज लॉन और पार्किंग का निर्माण किया जाएगा। ओमकारेश्वर मंदिर के लिए सरकार ने 156 करोड़ रुपए की योजना बनाई है। इनके अलावा प्रदेश के छोटे-छोटे मठ मंदिरों को भी संवारा जा रहा है। पुजारियों का मानदेय तीन गुना बढ़ा दिया गया है। मठ-मंदिरों में गुरु शिष्य परंपरा का पालन किया जाएगा। मंदिरों की जमीनों का पट्टा पुजारियों को दिया जाएगा।
राम वन गमन पथ का निर्माण :
कांग्रेस ने विधानसभा चुनाव में राम का भी सहारा लिया। प्रदेश में राम वन गमन पथ के निर्माण का वचन भी जनता को दे दिया। सरकार बनते ही कांग्रेस ने राम वन गमन पथ के निर्माण की योजना बनाकर बजट भी आवंटित कर दिया। राम वन गमन पथ चित्रकूट से अमरकंटक तक बनाया जा रहा है। इस पथ पर दस ऐसे स्थान है जहां भगवान राम वनवास के दौरान ठहरे थे। इन स्थानों को ऐसे विकसित किया जा रहा है जिससे वहां पहुंचने वाले लोगों को त्रेतायुग का अहसास हो। अध्यात्म विभाग राम पथ को प्रमुख पर्यटन केंद्र बनाने की दृष्टि से काम कर रहा है।
संत के सहारे नर्मदा सेवा :
सरकार ने पवित्र नदियों के साथ नदी संरक्षण पर भी काम शुरु कर दिया। नर्मदा,शिप्रा,मंदाकिनी जैसी पवित्र और धार्मिक नदियों को संवारने के लिए नदी न्यास का गठन किया। इस न्यास की कमान भी संत समाज के कंप्यूटर बाबा को दी। सरकार ने नर्मदा के संरक्षण और संवद्र्धन के लिए कार्ययोजना बनाकर उस पर अमल का पूरा एक्शन प्लान भी कंप्यूटर बाबा को जिम्मे सौंपा। नर्मदा किनारे रेत उत्खनन पर नियंत्रण के लिए अलग रेत नीति बनाई। सरकार ने नर्मदा पथ बनाने की बात भी कही। नर्मदा के साथ शिप्रा और मंदाकिनी नदी को फिर से अविरल बहने की योजना पर काम किया जा रहा है।